पेट्रोल, डीजल और गैस की बढ़ती कीमतों के सवाल पर जब कोई जवाब नहीं सूझा तो भाजपा विधायक ने तालिबान और अफगानिस्तान में जारी संकट का हवाला दे दिया. तेल और गैस कीमतों में वृद्धि मई से शुरू होकर लगातार कई दिनों तक इसमें बढ़ोतरी होती रही और बाद में यह आगे के महीनों में भी जारी रही. हुबली-धारवाड़ पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अरविंद बेलाड ने कहा, "अफगानिस्तान में तालिबान संकट के कारण, कच्चे तेल की आपूर्ति में गिरावट आई है. नतीजतन, एलपीजी, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं. मूल्य वृद्धि के कारणों को समझने के लिए मतदाता पर्याप्त परिपक्व हैं."
बता दें कि भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक (और उपभोक्ता) है, लेकिन अफगानिस्तान इसके प्रमुख विक्रेताओं में शामिल नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुलाई 2021 तक, भारत को कच्चा तेल बेचने वाले शीर्ष छह देश इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा हैं.
अफगानिस्तान की स्थिति में तेल और गैस की कीमतों को प्रभावित करने की क्षमता है, लेकिन इस तरह का प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है, वैश्विक समुदाय (और विशेष रूप से तेल उत्पादक राष्ट्र) अभी भी तालिबान और नई अफगान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क हैं.
जून में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत के कच्चे तेल का आयात आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था, क्योंकि रिफाइनर ने कोरोनवायरस की दूसरी लहर के सामने प्रसंस्करण में कटौती की थी.
पिछले कई महीनों में ईंधन (पेट्रोल और डीजल) और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में लगातार वृद्धि को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की विपक्ष और जनता दोनों ने तीखी आलोचना की है, जिनमें से करोड़ों लोग महामारी के दौरान अपना पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. .
सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाकर अपना बचाव किया है; पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वह लागत कम नहीं कर सकती क्योंकि उसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा कंपनियों को जारी किए गए तेल बांड की लागत वहन करनी पड़ी.
इसपर कांग्रेस और राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा ने सात वर्षों में 23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है. राहुल गांधी ने कहा था कि यूपीए शासनकाल में एलपीजी सिलेंडर ₹410 से ₹885 था, जिसमें अब ₹116 प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में 2014 के बाद से 42 फीसदी और डीजल में 55 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है.