विज्ञापन
This Article is From Apr 15, 2024

"देश को काले धन की तरफ धकेला, हर कोई पछताएगा...", PM ने कहा - चुनावी बॉन्ड स्कीम पर विपक्ष ने फैलाया झूठ

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भी चुनावों में खर्चा होता था. तब कौन-सा पैसा कहां से आया और किसने खर्च किया, इसकी जानकारी नहीं मिलती थी. कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. कमियों को सुधारा जा सकता है. 

पीएम मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को कालेधन पर रोक लगाने की कोशिश बताया है.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावी चंदे की स्कीम यानी इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) को खत्म कर दिया है. विपक्षी दल इसे मुद्दा बना रहे हैं. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर बयान दिया है. पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर चुनावी बॉन्ड यानी इलेक्टोरल बॉन्ड्स स्कीम को लेकर 'झूठ फैलाने' का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "इलेक्टोरल बॉन्ड के कारण आपको मनी ट्रेल का पता चल रहा है. किस कंपनी ने पैसा दिया? उन्होंने पैसे किसे दिया? पैसा कहां दिया? इन सवालों के जवाब मिल पा रहे हैं. इसलिए मैं कहता हूं कि जब विपक्षी दल ईमानदारी से सोचेंगे, तो हर किसी को पछतावा होगा. जो लोग डेटा पब्लिक होने को लेकर हल्ला मचा रहे हैं, उन्हें बाद में अफसोस होगा. उन्होंने देश को काले धन की तरफ धकेला है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए खास इंटरव्यू में ये बातें कही. मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भी चुनावों में खर्चा होता था. तब कौन-सा पैसा कहां से आया और किसने खर्च किया, इसकी जानकारी नहीं मिलती थी. कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. कमियों को सुधारा जा सकता है. 

इलेक्टोरल बॉन्ड्स सरकार का था शुद्ध विचार
मोदी ने कहा, "हमारे देश में लंबे समय से चर्चा चल रही है कि काले धन के जरिए चुनावों में एक खतरनाक खेल होता है. देश के चुनावों में काले धन का खेल खत्म हो, यह चर्चा लंबे समय से चल रही है." प्रधानमंत्री ने कहा, "बेशक चुनाव में भारी मात्रा में पैसा खर्च होता है. मेरी पार्टी भी चुनाव में पैसे खर्च करती है. सभी पार्टियां और सभी उम्मीदवार पैसे खर्च करते हैं. पैसा चंदे के तौर पर लोगों से लेना पड़ता है. मैं चाहता था कि हम कुछ ऐसा करें, जिससे हमारा चुनाव में काले धन का इस्तेमाल न हो पाए. मेरे मन में एक शुद्ध विचार था. हम एक छोटा सा रास्ता ढूंढ रहे थे. हमने कभी यह दावा नहीं किया कि यह बिल्कुल सही रास्ता है."

पीएम ने कहा, "जब संबंधित विधेयक पारित किया गया था, तब संसद में बहस हुई थी. आज जो लोग इलेक्टोरल बॉन्ड्स की आलोचना कर रहे हैं, उन्हीं लोगों ने तब इसका समर्थन किया था."

काले धन को खत्म करने के लिए सरकार ने लिए फैसले
पीएम ने कहा, "काले धन से निपटने की कोशिशों के तहत मेरी सरकार ने 1000 और 2000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने का फैसला लिया था. चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में ये नोट ले जाए गए. हमने ये कदम इसलिए उठाया, ताकि काला धन खत्म हो." प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक दलों को पहले 20000 रुपये तक कैश डोनेशन लेने की परमिशन थी. बाद में इसे बदलकर 2500 रुपये कर दिया, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि कैश बिजनेस जारी रहे.

चेक के जरिए पेमेंट करने में कारोबारियों को थी दिक्कत
पीएम मोदी ने कहा, "बीजेपी ने पहले सभी पब्लिक डोनेशन चेक के जरिए लेने का फैसला किया था. इससे कारोबारियों को दिक्कत थी. उन्होंने कहा कि वो इस मोड से पेमेंट नहीं कर सकते. क्योंकि सरकार को पता चल जाएगा कि उन्होंने एक राजनीतिक दल को कितना योगदान दिया है. जिससे बाद में उन्हें परेशानी हो सकती है. कारोबारियों ने कहा था कि वो डोनेशन देना चाहते हैं, लेकिन चेक के जरिए नहीं, बल्कि कैश मोड में चंदा लिया जाए."

पीएम मोदी ने कहा, "अब देखिए अगर कोई इलेक्टोरल बॉन्ड्स नहीं था, तो किस सिस्टम के पास यह पता लगाने की शक्ति है कि पैसा कैसे आया और कहां गया. इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वजह से ही आपको मनी ट्रेल का पता चल पा रहा है.'' 

मोदी ने कहा, "यह इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सफलता की कहानी है. इस प्रक्रिया में जो हुआ वह अच्छा था या बुरा, यह बहस का मुद्दा हो सकता है...मैं कभी नहीं कहता कि निर्णय लेने में कोई कमी नहीं है, हम चर्चा करके सीखते हैं और सुधार करते हैं, लेकिन आज हमने देश को पूरी तरह से काले धन की ओर धकेल दिया है. जब वे ईमानदारी से सोचेंगे तो सभी को पछतावा होगा.'' 

पीएम मोदी ने तर्क दिया कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद पता चला कि जिन 16 कंपनियों ने डोनेशन दिया, उनमें से सिर्फ 37 पर्सेंट रकम BJP और 63 पर्सेंट BJP विरोधी विपक्षी दलों को मिला.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को खत्म की थी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम
शुरू से ही विवादों में घिरी केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को असंवैधानिक करार दिया था. इस स्कीम के तहत जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे. इसमें से ज़्यादातर राशि राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा मांगा था, चुनाव आयोग को उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया था.

14 मार्च को चुनाव आयोग ने जारी किया डेटा
चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया, जिसके बाद पता लगा कि BJP सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है. 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपये मिले हैं.

लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) है. हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है. चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है.


किसी को डरने की जरूरत नहीं... : PM मोदी ने बताया 2047 तक भारत कैसे बनेगा दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com