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This Article is From Jul 11, 2012

बच्ची को पेशाब पीने के लिए कहना अपराध नहीं, उपचार है : अग्निवेश

विश्व भारती के एक स्कूल में एक बच्ची को गीला बिस्तर चाटकर साफ करने की सजा को अग्निवेश जायज ठहरा रहे हैं। उनकी दलील है कि आयुर्वेद में मूत्रपान बाकायदा इलाज की तरह आजमाया जाता है।
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नई दिल्ली: विश्व भारती के एक स्कूल में 11 साल की बच्ची को गीला बिस्तर चाटकर साफ करने की सजा को स्वामी अग्निवेश जायज ठहरा रहे हैं। कभी बंधुआ मजदूरों को लेकर काम करने वाले अग्निवेश का यह बयान कुछ ज्यादा ही चौंकाने वाला है।

अग्निवेश का कहना है कि इस मामले को बहुत तूल नहीं देना चाहिए। उनकी दलील है कि इस बच्ची को अगर गीला बिस्तर चाटने की सजा दी गई, तो यह कोई बड़ी बात नहीं, क्योंकि आयुर्वेद में मूत्रपान बाकायदा इलाज की तरह आजमाया जाता है। अग्निवेश का कहना है कि वार्डन ने बच्ची को हाथ−पांव बांधकर इस काम के लिए मजबूर नहीं किया।

उधर, पांचवीं कक्षा की इस छात्रा को कथित तौर पर अपना ही मूत्र पीने के लिए मजबूर करने की घटना के मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें घटना का तथ्यात्मक विवरण दिया गया है।

इस घटना के सामने आने के बाद से लोगों में नाराजगी देखने को मिली। मामले में बिस्तर गीला करने के लिए बच्ची को कथित तौर पर ऐसी अमानवीय सजा देने की आरोपी हॉस्टल वार्डन को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था। हालांकि बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। गौरतलब है कि विश्व भारती विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है और इसके कुलाधिपति प्रधानमंत्री हैं।

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