यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH) ने दिल्ली के शाहीन बाग में आमसभा का आयोजन कर नफ़रत के खिलाफ जन आंदोलन का ऐलान किया. सभा में स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मैं जाति में विश्वास नहीं करता, मैं हिंदुओं या मुसलमानों के बीच पुरुष और स्त्री के बीच पदानुक्रम में विश्वास नहीं करता. कुछ लोग 'गर्व से कहो हम हिंदू हैं' कहते हैं, मैं कहता हूं "फ़ख्र से कहो हम इन्सान हैं, क्योंकि इन्सानियत सबसे बड़ा धर्म है. उन्होंने कहा कि असली देश मोहल्ला, गलियों और नुक्कड़ों में रहता है. पत्रकार एवं लेखक आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने कहा कि जब तक हम अपने संवैधानिक मूल्यों को गलियों, नुक्कड़ों और मोहल्लों में नहीं ले जाते हैं, तब तक यह देश अंधेरे से बाहर नहीं निकल पाएगा. मुझे खुशी है कि UAH हमें यहां लाया है.
उमर खालिद और शारिक अंसर ने कहा कि जो लोग नफरत की बात करते हैं, जामा मस्जिद को तोड़ने की बात करते हैं, उन्हें अनुमति दी जाती है और हमारे कार्यक्रम को पुलिस प्रशासन अनुमति देने से इनकार करता है. इस तथ्य के बावजूद कि हमारा कार्यक्रम वास्तव में नफरत के विरुद्ध और संवैधानिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए था. इस तरह के सभी प्रयासों के बावजूद, हमने सैकड़ों लोगों के बीच सड़क की बैठक को सफलतापूर्वक आयोजित किया और नफरत की ताकतों को हराने के लिए अपनी प्रतिज्ञा को नवीनीकृत किया.
सभा में प्रो. रतनलाल ने कहा, "लोकतंत्र में शासकों के खिलाफ सवाल उठाना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है. जातिवादी सांप्रदायिक तत्वों ने यहां तक पहुंचने के लिए कई दशकों से अच्छी तैयारी की है, लेकिन आज हमें अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाना चाहिए. आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान हमें अपनी आवाज उठाने और निर्भीक होकर ऐसा करने का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि शासक हमें बेवकूफ बना रहे हैं. हम चुनाव से एक दिन पहले हिंदू हैं, और उसके बाद के दिन दलित हैं. हमें शासकों से सवाल करना चाहिए.'
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