डॉ दलीप कौर टिवाणा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जानी-मानी पंजाबी लेखिका दलीप कौर टिवाणा ने देश में 'बढ़ते सांप्रदायिक तनाव' के खिलाफ अपना पद्मश्री सम्मान लौटाने का ऐलान किया है। टिवाणा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा, 'गौतम बुद्ध और गुरु नानक की भूमि पर 1984 में सिखों पर किए गए अत्याचार और सांप्रदायिकता की वजह से बार-बार मुसलमानों पर ज्यादती हमारे देश और समाज के लिए बहुत अपमान की बात है।'
उन्होंने लिखा, 'सत्य और न्याय के लिए खड़े होने वालों को मारना हमें दुनिया और ऊपर वाले की आंखों में शर्मसार करता है। इसलिए विरोध स्वरूप मैं पद्मश्री सम्मान लौटाती हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव की और अल्पसंख्यकों के साथ जो हो रहा है, उसकी निंदा करती हूं।' उन्हें 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। टिवाणा को उनके उपन्यास 'एहो हमारा जीवन' के लिए 1971 में साहित्य अकादमी सम्मान से भी विभूषित किया गया था।
कन्नड़ लेखक रहमत तारीकेरी ने भी लौटाया सम्मान
'बढ़ती असहिष्णुता' के विरोध में अवार्ड लौटा रहे लेखकों की फेहरिस्त में शामिल होते हुए कन्नड़ लेखक प्रोफेसर रहमत तारीकेरी ने मंगलवार को कहा कि विद्वान एमएम कलबुर्गी और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर एवं गोविंद पानसरे की हत्या के विरोध में वह अपना साहित्य अकादमी सम्मान लौटा रहे हैं।
कृष्णा सोबती और अरुण जोशी के भी अवार्ड लौटाने के फैसले के बाद नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी सहित कम से कम 25 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्य अकादमी में अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। साहित्य अकादमी ने इन घटनाक्रमों पर चर्चा के लिए 23 अक्टूबर को आपात बैठक बुलाई है।
असम के बोर्गोहैन भी लौटाएंगे साहित्य अकादमी पुरस्कार
देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों में असम के प्रख्यात साहित्यकार और पत्रकार होमेन बोर्गोहैन भी शामिल हो गए हैं। होमेन ने भी अपना पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है।
होमेन बोर्गोहेन को 1978 में असमी भाषा में अपने उपन्यास 'पिता पुत्र' के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया था। असम के एक अखबार में बोर्गोहैन ने लिखा, "दादरी हत्या के बाद से ही मेरे भीतर एक मौन प्रतिरोध था, लेकिन मुझे इसे प्रकट करने का तरीका नहीं मिल रहा था।" बोर्गोहैन ने कहा, "मेरा यह कदम केवल दादरी हत्या के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि यह देश में बढ़ती फासीवादी प्रवृत्ति और भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर प्रहार करने की कोशिश कर रहीं बुरी ताकतों के खिलाफ भी है।"
अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार की राशि लौटाई
साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने वाले लेखक अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार लौटाने के बाद साथ में मिली रकम भी लौटा दी है। इस बीच संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों की पृष्ठभूमि को देखा जाना चाहिए, उन्होंने (लेखकों ने ) पहले क्या-क्या बयान दिए हैं, उन पर भी गौर किया जाना चाहिए। (इनपुट एजेंसियों से)
उन्होंने लिखा, 'सत्य और न्याय के लिए खड़े होने वालों को मारना हमें दुनिया और ऊपर वाले की आंखों में शर्मसार करता है। इसलिए विरोध स्वरूप मैं पद्मश्री सम्मान लौटाती हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव की और अल्पसंख्यकों के साथ जो हो रहा है, उसकी निंदा करती हूं।' उन्हें 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। टिवाणा को उनके उपन्यास 'एहो हमारा जीवन' के लिए 1971 में साहित्य अकादमी सम्मान से भी विभूषित किया गया था।
कन्नड़ लेखक रहमत तारीकेरी ने भी लौटाया सम्मान
'बढ़ती असहिष्णुता' के विरोध में अवार्ड लौटा रहे लेखकों की फेहरिस्त में शामिल होते हुए कन्नड़ लेखक प्रोफेसर रहमत तारीकेरी ने मंगलवार को कहा कि विद्वान एमएम कलबुर्गी और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर एवं गोविंद पानसरे की हत्या के विरोध में वह अपना साहित्य अकादमी सम्मान लौटा रहे हैं।
कृष्णा सोबती और अरुण जोशी के भी अवार्ड लौटाने के फैसले के बाद नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी सहित कम से कम 25 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्य अकादमी में अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। साहित्य अकादमी ने इन घटनाक्रमों पर चर्चा के लिए 23 अक्टूबर को आपात बैठक बुलाई है।
असम के बोर्गोहैन भी लौटाएंगे साहित्य अकादमी पुरस्कार
देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों में असम के प्रख्यात साहित्यकार और पत्रकार होमेन बोर्गोहैन भी शामिल हो गए हैं। होमेन ने भी अपना पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है।
होमेन बोर्गोहेन को 1978 में असमी भाषा में अपने उपन्यास 'पिता पुत्र' के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया था। असम के एक अखबार में बोर्गोहैन ने लिखा, "दादरी हत्या के बाद से ही मेरे भीतर एक मौन प्रतिरोध था, लेकिन मुझे इसे प्रकट करने का तरीका नहीं मिल रहा था।" बोर्गोहैन ने कहा, "मेरा यह कदम केवल दादरी हत्या के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि यह देश में बढ़ती फासीवादी प्रवृत्ति और भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर प्रहार करने की कोशिश कर रहीं बुरी ताकतों के खिलाफ भी है।"
अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार की राशि लौटाई
साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने वाले लेखक अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार लौटाने के बाद साथ में मिली रकम भी लौटा दी है। इस बीच संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों की पृष्ठभूमि को देखा जाना चाहिए, उन्होंने (लेखकों ने ) पहले क्या-क्या बयान दिए हैं, उन पर भी गौर किया जाना चाहिए। (इनपुट एजेंसियों से)
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