विरोध प्रदर्शन करते राजनीतिक दलों के कार्यकता
त्रिशूर:
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखी गई एक किताब के मलयालम संस्करण का लोकर्पण विरोध प्रदर्शनों के चलते शनिवार को रद्द कर दिया गया। विरोध प्रदर्शन तब हुए जब एक महिला लेखक से कथित तौर पर यह कहा गया कि वह ‘स्वामी जी’ की उपस्थिति के चलते समारोह से दूर रहे।
कलाम द्वारा लिखी गई किताब ‘ट्रेन्सेन्डन्स माई स्प्रिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी’ की अनुवादक एवं लेखिका श्रीदेवी एस कार्था ने आरोप लगाया कि उनसे कहा गया कि वह समारोह में शामिल न हों क्योंकि बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था के ब्रह्म विहारी दास अपने साथ मंच पर महिलाओं की मौजूदगी पसंद नहीं करते।
श्रीदेवी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि उन्हें बताया गया कि बीएपीएस के नियम स्वामी जी के साथ महिलाओं को मंच साझा करने की अनुमति नहीं देते।
उन्होंने फेसबुक पर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट में लिखा, ‘पहली तीन पंक्तियां भी स्वामी जी के अनुयायियों के लिए आरक्षित रहनी चाहिए, ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि महिलाओं की अशुद्ध परछाई भी उन पर न पड़ने पाए।’ विवाद बढ़ने के साथ विभिन्न संगठनों ने केरल साहित्य अकादमी के बाहर प्रदर्शन किए जहां ‘कालातीतम’ नाम की किताब का लोकर्पण होना था।
पुस्तक प्रकाशक त्रिशूर आधारित करंट बुक्स के प्रकाशन प्रबंधक केजे जॉनी ने कहा कि स्वामी ब्रह्म विहारी दास समारोह में नहीं आए। जॉनी ने यह भी कहा कि वे आम तौर पर लोकर्पण समारोहों में अनुवादकों को आमंत्रित नहीं करते।
मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए जानी मानी कवयित्री सुगत कुमारी ने कहा, ‘जिन्हें अपनी माताओं से डर लगता है, उन्हें अंधकर युग की कंदराओं में चले जाना चाहिए।’ श्रीदेवी ने कहा कि ऐसे में तालिबान और भारतीय संस्कृति के बीच क्या फर्क रह जाता है।
कलाम द्वारा लिखी गई किताब ‘ट्रेन्सेन्डन्स माई स्प्रिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी’ की अनुवादक एवं लेखिका श्रीदेवी एस कार्था ने आरोप लगाया कि उनसे कहा गया कि वह समारोह में शामिल न हों क्योंकि बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था के ब्रह्म विहारी दास अपने साथ मंच पर महिलाओं की मौजूदगी पसंद नहीं करते।
श्रीदेवी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि उन्हें बताया गया कि बीएपीएस के नियम स्वामी जी के साथ महिलाओं को मंच साझा करने की अनुमति नहीं देते।
उन्होंने फेसबुक पर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट में लिखा, ‘पहली तीन पंक्तियां भी स्वामी जी के अनुयायियों के लिए आरक्षित रहनी चाहिए, ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि महिलाओं की अशुद्ध परछाई भी उन पर न पड़ने पाए।’ विवाद बढ़ने के साथ विभिन्न संगठनों ने केरल साहित्य अकादमी के बाहर प्रदर्शन किए जहां ‘कालातीतम’ नाम की किताब का लोकर्पण होना था।
पुस्तक प्रकाशक त्रिशूर आधारित करंट बुक्स के प्रकाशन प्रबंधक केजे जॉनी ने कहा कि स्वामी ब्रह्म विहारी दास समारोह में नहीं आए। जॉनी ने यह भी कहा कि वे आम तौर पर लोकर्पण समारोहों में अनुवादकों को आमंत्रित नहीं करते।
मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए जानी मानी कवयित्री सुगत कुमारी ने कहा, ‘जिन्हें अपनी माताओं से डर लगता है, उन्हें अंधकर युग की कंदराओं में चले जाना चाहिए।’ श्रीदेवी ने कहा कि ऐसे में तालिबान और भारतीय संस्कृति के बीच क्या फर्क रह जाता है।
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