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This Article is From Feb 19, 2024

"इसकी तुलना मणिपुर से ना करें..." : सन्देशखाली मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को लेकर उत्सुकता और सहानुभूति को समझते हैं, लेकिन इस अदालत द्वारा किसी जांच की निगरानी पूरी तरह से अलग है. 

"इसकी तुलना मणिपुर से ना करें..." : सन्देशखाली मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका वापस ले ली है. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले (Sandeshkhali Case) में दखल देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोमवार को सीबीआई या एसआईटी जांच की याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है. साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कलकत्ता हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है. इस मामले में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. अब उन्‍होंने अपनी याचिकाकर्ता वापस ले ली है. 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि इसकी मणिपुर से तुलना न करें. मामले का हाईकोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट स्थिति का आकलन करने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ है. हाईकोर्ट एसआईटी जांच कराने के आदेश देने में सक्षम है.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को लेकर उत्सुकता और सहानुभूति को समझते हैं, लेकिन इस अदालत द्वारा किसी जांच की निगरानी पूरी तरह से अलग है. 

इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट जाने के लिए याचिका वापस ली है, जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दी है.  

जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. 

याचिका में की गई थी यह मांग 

सुप्रीम कोर्ट के वकील की तरफ से दाखिल याचिका में मामले की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने मांग की गई थी.  याचिका में निष्पक्ष जांच के लिए पूरी जांच पश्चिम बंगाल से बाहर करवाने की मांग की गई थी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर की तर्ज पर 3 रिटायर जजों की कमेटी बनाने की मांग की गई थी. साथ ही याचिका में पीड़ितों को मुआवजा देने के निर्देंश देने के साथ दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग भी की गई है. 

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