विज्ञापन
This Article is From Oct 16, 2020

मुंबई में डॉक्टरों को पड़ रही है डॉक्टर की जरूरत, मानसिक तनाव में स्वास्थ्यकर्मी

करीब 6 महीने से लगातार कोविड ड्यूटी पर तैनात हमारे डॉक्टर-नर्स अब ख़ुद मानसिक रोगी बन रहे हैं. राज्य में 45,000 डॉक्टरों वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-महाराष्ट्र ने चौंकाने वाले आंकड़े बताए हैं.

मुंबई में डॉक्टरों को पड़ रही है डॉक्टर की जरूरत, मानसिक तनाव में स्वास्थ्यकर्मी
मानसिक तनाव के कारण अब डॉक्टर ही डॉक्टर का सहारा ले रहे हैं.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
25% ICU-फ़िज़िशियन,इंटेंसिविस्ट तनाव में : आईएमए
40% रेज़िडेंट डॉक्टर मानसिक तनाव में : आईएमए
कई डॉक्टर शराब और सिगरेट का ज़्यादा सेवन कर रहे हैं : आईएमए
मुंबई:

अन्लाकिंग (Unlocking) के साथ लोगों में कोरोना का ख़ौफ़ भले ही जाता दिख रहा है लेकिन दिन रात कोविड ड्यूटी पर लगे हमारे स्वास्थ्यकर्मियों का ख़ौफ़ और तकलीफ़ें बरक़रार हैं. नतीजा मानसिक तनाव इतना बढ़ा है कि डॉक्टरों को ही डॉक्टर की ज़रूरत पड़ रही है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) महाराष्ट्र के मुताबिक़ 40% रेजीडेंट डॉक्टर दिमागी रोग के शिकार हैं. इतना ही नहीं आईसीयू के मरीज़ों को देखने वाले 25% फ़िज़िशियन और इंटेंसिविस्ट भी तनाव में हैं. मनोचिकित्सक कह रहे हैं कई स्वास्थ्यकर्मियों को डिप्रेशन की दवा खानी पड़ रही है.

अप्रैल से लेकर अब तक महाराष्ट्र के स्वास्थ्यकर्मी कई बार अपनी सुरक्षा की मांगों के साथ सड़कों पर उतरे हैं. करीब 6 महीने से लगातार कोविड ड्यूटी पर तैनात हमारे डॉक्टर-नर्स अब ख़ुद मानसिक रोगी बन रहे हैं. राज्य में 45,000 डॉक्टरों वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-महाराष्ट्र ने चौंकाने वाले आंकड़े बताए हैं.

आईएमए महाराष्ट्र के मुताबिक़ गम्भीर कोविड मरीज़ों की ड्यूटी पर तैनात 25% आईसीयू-फ़िज़िशियन और इंटेंसिविस्ट मानसिक तनाव से गुज़र रहे हैं. आईएमए के मुताबिक़ कोविड दौर में राज्य में 40% रेज़िडेंट डाक्टर्ज़ दिमागी रोग का शिकार हैं. एसोसियेशन के मुताबिक़ कोविड तनाव के कारण स्वास्थ्यकर्मियों में शराब और सिगरेट की लत में 30% का इज़ाफ़ा हुआ है.

यह भी पढ़ें- COVID-19 : मुंबईवासियों पर सितम्बर में ज्यादा सितम, कोरोना केसों में 101% का इजाफा

आईएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे के मुताबिक, "सबसे अहम बात ये है की कुछ डॉक्टर अपनी लाइफ़ स्टाइल की वजह से कभी-कभी ड्रिंक या सिगरेट लेते हैं. लेकिन अभी तनाव की वजह से कई डॉक्टरों में ऐल्कहॉल और सिगरेट पीने की मात्रा बढ़ रही है. जो आईसीयू में काम करते हैं वैसे डॉक्टर में ये तनाव ज़्यादा है. जो रेज़ीडेंट डॉक्टर हैं उनमें भी ये तनाव बहुत ज़्यादा है. कई डॉक्टर ऐसे हैं जो पिछले छह महीने से अपने घर भी नहीं गए हैं! अपनों से मिल नहीं पा रहे हैं बहुत तनाव बढ़ा है. रेज़िडेंट डाक्टर्ज़ सबसे ज़्यादा इसके शिकार हैं."

अपनी पहचान छुपाते हुए कोविड ड्यूटी पर तैनात एक वरिष्ठ डॉक्टर ने एनडीटीवी को बताया किस तरह उनकी एक गर्भवती सह-कर्मी ने संक्रमण के बाद अपना बच्चा खोया, और मानसिक तनाव का शिकार हुईं. ‘'ये मेरी सहकर्मी के साथ हुआ वाक़या है, प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में वो कोरोना से संक्रमित हुईं. दुर्भाग्यवश उनका बच्चा नहीं बच पाया. वो यक़ीन नहीं कर पा रही थीं की उनका बच्चा अब इस दुनिया में नहीं है, बहुत मुश्किल दौर था और मानसिक रूप से उन्हें मदद की ज़रूरत पड़ी, उन्हें ये समझाने में वक्त लगा की ऐसे दौर में ये हादसा किसी के साथ भी हो सकता है इसमें उनकी गलती नहीं है, वो फिर से मां बन सकती हैं. ‘'

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 15 लाख के पार, 12134 नए मामले आए सामने

अपनी पहचान छुपाते हुए मुंबई की एक स्टाफ़ नर्स ने बताया किस तरह कोविड मरीज़ों की सेवा कर रहीं, नर्सेस हर रोज़ अपनों को लेकर तनाव और डर में हैं. ‘'पैंडेमिक में काम करते हुए 7 दिन का क्वॉरंटीन पीरियड तो है लेकिन उसके बाद लक्षण दिखे या मेरे घर पर मैं किसी को संक्रमण देने के चांसेस रख सकती हूं. इन विचारों से ही मुझे खूब तनाव है. ये बहुत चुनौतीपूर्ण है की घर से अस्पताल और अस्पताल से घर आते समय मैं घरवालों को संक्रमित तो नहीं कर रही? मेरी वजह से उनको कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी? ये सब सोचते हुए घर जाने से बहुत डर लगता है. ये चिंता और तनाव अभी भी हमारे मन में है और जब तक कोरोना ख़त्म नहीं होता ये तो चलता ही रहेगा.''

मुंबई के कई बड़े मनोचिकित्सक बता रहे हैं किस तरह मानसिक तनाव के कारण अब डॉक्टर ही डॉक्टर का सहारा ले रहे हैं. फ़ोर्टिस अस्पताल की मनोचिकित्सक श्रीता नायर ने बताया, ‘'इस कोविड के कारण हेल्थवर्कर की मानसिक स्थिति पर तनाव आया है. ऐंज़ाइयटी और डिप्रेशन कॉमन शिकायत है. स्ट्रेस काफ़ी ज़्यादा पाता गया है. कोविड की ऐंज़ाइयटी,परिवार को लेकर चिंता, बच्चों को लेकर चिंता इनमें कामन्ली पायी गयीं हैं. बतौर मनोचिकित्सक हम दवा, साइकलॉजिकल सपोर्ट, रीलैक्सेशन टेक्नीक से हम मदद कर रहे हैं.''

ग्लोबल अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. संतोष बांगर का कहना है, "इस दौर में फ़्रंटलाइन वर्कर के लिए काफ़ी काम बढ़ा है जिसके कारण उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ा है. जैसे नींद ना आना, घबराहट, चिंता की कहीं ख़ुद कोरोना का शिकार ना हो जाएं. इसके लिए वो डॉक्टर का सहारा लेते हैं. सायकैट्रिस्ट की मदद ले रहे हैं, जहां मामला गम्भीर है वहां एंटी ऐंज़ाइयटी मेडिकेशन दे रहे हैं. कुछ को डिप्रेशन की शिकायत है तो इन्हें एंटी डिप्रेसंट से मदद मिल रही है."

अन्लॉकिंग के साथ बिना मास्क में घूमते लोगों को देख तो लगता नहीं की इन लोगों में कोरोना का ख़ौफ़ बाक़ी है, लेकिन दिन रात कोविड ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों स्वास्थकर्मियों के दर्द को सुनिए और जानिए तो शायद सोशल डिसटेंसिंग और मास्क की अहमियत समझ आएगी.

मास्क नहीं पहनने पर हो सकती है 5 साल तक की सज़ा

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com