बाबरी मस्जिद (फाइल फोटो)
लखनऊ:
अयोध्या में बारावफात के मौके पर बाबरी मस्जिद का मॉडल प्रदर्शित करने से विवाद हो गया। मस्जिद के इस मॉडल में तीन गुंबद और पुरानी तर्ज़ के विशाल गेट बनाए गए हैं। इसके ऊपर लिखा है ,"बाबरी मस्जिद"। मॉडल की नुमाइश अयोध्या के काज़ियाना मोहल्ले में की जा रही थी। मॉडल की नुमाइश लगाते ही कुछ लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने मॉडल लगाने वालों को समझा बुझाकर उसे वहां से हटवा दिया।
मॉडल बनवाने वाली संस्था नूरानी कमेटी के नुमाइंदे मोहम्मद अली ने कहा कि "अब वह लोग कारसेवकपुरम में मंदिर का मॉडल रखे हुए हैं...लेकिन हम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है...फिर हमारे मॉडल पर उन्हें क्यों एतराज़ होना चाहिए।"
राम मंदिर के मॉडलों का भी प्रदर्शन
दरअसल अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) कारसेवकपुरम और अपनी मंदिर निर्माण कार्यशाला में काफी दिनों से राम मंदिर के विशाल मॉडलों का प्रदर्शन कर रहा है। वहां वीएचपी ने मंदिर के लिए चंदा लेने के लिए दान पात्र भी लगा रखा है। यही नहीं वीएचपी की मंदिर निर्माण कार्यशाला में मंदिर बनाने के लिए 1990 से राजस्थान से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। उन्हें तराशने का काम चल रहा है।
उर्दू की जगह हिंदी में लिखा तो विवाद शुरू
नूरानी कमेटी के मोहम्मद अच्छन खान तो कहते हैं कि , "बारावफ़ात के मौके पर जुलूस में हर साल बाबरी मस्जिद का मॉडल शामिल किया जाता है लेकिन चूंकि उस पर "बाबरी मस्जिद" उर्दू में लिखा होता था इसलिए उर्दू न जानने वालों को पता नहीं चलता था। लेकिन इस बार चूंकि मस्जिद का नाम हिंदी में लिख दिया गया तो उस पर कुछ लोग विवाद खड़ा कर रहे हैं।"
नुमाइशों के जरिये न उकसाने की अपील
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लीगल एडवाइजर जफरयाब जीलानी ने NDTV इंडिया से कहा कि "आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से पहले ही अपील की हुई है कि बाबरी मस्जिद का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में है, वे सिर्फ अदालत के फैसले का इंतजार करें और सड़क पर किसी तरह का प्रदर्शन न करें, क्योंकि इससे तनाव होगा। वीएचपी मंदिर के मॉडल और शिलाओं की नुमाइश कर उकसाने का काम कर रही है। मुसलमानों को उकसावे में नहीं आना चाहिए।"
यूपी विधानसभा के चुनाव 2017 के शुरू में होने हैं, इसलिए सियासत के जानकर कहते हैं कि इसके पीछे सिर्फ सियासत है और कुछ नहीं।
मॉडल बनवाने वाली संस्था नूरानी कमेटी के नुमाइंदे मोहम्मद अली ने कहा कि "अब वह लोग कारसेवकपुरम में मंदिर का मॉडल रखे हुए हैं...लेकिन हम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है...फिर हमारे मॉडल पर उन्हें क्यों एतराज़ होना चाहिए।"
राम मंदिर के मॉडलों का भी प्रदर्शन
दरअसल अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) कारसेवकपुरम और अपनी मंदिर निर्माण कार्यशाला में काफी दिनों से राम मंदिर के विशाल मॉडलों का प्रदर्शन कर रहा है। वहां वीएचपी ने मंदिर के लिए चंदा लेने के लिए दान पात्र भी लगा रखा है। यही नहीं वीएचपी की मंदिर निर्माण कार्यशाला में मंदिर बनाने के लिए 1990 से राजस्थान से पत्थर मंगाए जा रहे हैं। उन्हें तराशने का काम चल रहा है।
उर्दू की जगह हिंदी में लिखा तो विवाद शुरू
नूरानी कमेटी के मोहम्मद अच्छन खान तो कहते हैं कि , "बारावफ़ात के मौके पर जुलूस में हर साल बाबरी मस्जिद का मॉडल शामिल किया जाता है लेकिन चूंकि उस पर "बाबरी मस्जिद" उर्दू में लिखा होता था इसलिए उर्दू न जानने वालों को पता नहीं चलता था। लेकिन इस बार चूंकि मस्जिद का नाम हिंदी में लिख दिया गया तो उस पर कुछ लोग विवाद खड़ा कर रहे हैं।"
नुमाइशों के जरिये न उकसाने की अपील
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लीगल एडवाइजर जफरयाब जीलानी ने NDTV इंडिया से कहा कि "आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से पहले ही अपील की हुई है कि बाबरी मस्जिद का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में है, वे सिर्फ अदालत के फैसले का इंतजार करें और सड़क पर किसी तरह का प्रदर्शन न करें, क्योंकि इससे तनाव होगा। वीएचपी मंदिर के मॉडल और शिलाओं की नुमाइश कर उकसाने का काम कर रही है। मुसलमानों को उकसावे में नहीं आना चाहिए।"
यूपी विधानसभा के चुनाव 2017 के शुरू में होने हैं, इसलिए सियासत के जानकर कहते हैं कि इसके पीछे सिर्फ सियासत है और कुछ नहीं।
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