कन्नौज लोकसभा के उपचुनाव से दो प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिया है जिसके कारण सपा प्रत्याशी डिंपल यादव निर्विरोध जीत तय मानी जा रही है।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        कन्नौज लोकसभा के उपचुनाव से दो प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिया है जिसके कारण सपा प्रत्याशी डिंपल यादव निर्विरोध जीत तय मानी जा रही है।
हालांकि उनके खिलाफ संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ शंखवार और निर्दलीय संजू कटियार ने पर्चा दाखिल किया था मगर डिम्पल को उनसे कोई मजबूत चुनौती मिलने की सम्भावना बेहद कम थी।
डिम्पल वर्ष 2009 में अपने पति अखिलेश यादव के इस्तीफे से ही रिक्त हुई फिरोजाबाद लोकसभा सीट का उपचुनाव लड़ी थीं लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।
बसपा प्रवक्ता ने उपचुनाव नहीं लड़ने का तर्क देते हुए कहा था, ‘‘बसपा ने सपा सरकार के विकास के खोखले दावे का पर्दाफाश करने के लिए कन्नौज लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।’’ बसपा ने डिंपल को मैदान में उतारने को समाजवादी पार्टी की ‘परिवारवादी’ परम्परा का प्रमाण बताते हुए कहा था कि उसने कन्नौज उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करने का फैसला इसलिए किया ताकि नेहरु गांधी परिवार के परम्परागत क्षेत्रों अमेठी, रायबरेली और सुल्तानपुर के लोगों की तरह कन्नौज के लोग सपा के नेताओं की हकीकत समझ लें।
कांग्रेस ने कहा था कि उसने वर्ष 2009 के आम चुनाव में भी कन्नौज सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था, लिहाजा वह इस सीट के उपचुनाव में भी प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
भाजपा ने गत छह जून को नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन ऐन मौके पर जगदेव सिंह यादव नामक पूर्व ब्लाक प्रमुख को अपना प्रत्याशी तो घोषित किया था लेकिन लखनऊ से कन्नौज नहीं पहुंच पाने के कारण वह नामांकन दाखिल नहीं कर सके थे।
                                                                        
                                    
                                हालांकि उनके खिलाफ संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ शंखवार और निर्दलीय संजू कटियार ने पर्चा दाखिल किया था मगर डिम्पल को उनसे कोई मजबूत चुनौती मिलने की सम्भावना बेहद कम थी।
डिम्पल वर्ष 2009 में अपने पति अखिलेश यादव के इस्तीफे से ही रिक्त हुई फिरोजाबाद लोकसभा सीट का उपचुनाव लड़ी थीं लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।
बसपा प्रवक्ता ने उपचुनाव नहीं लड़ने का तर्क देते हुए कहा था, ‘‘बसपा ने सपा सरकार के विकास के खोखले दावे का पर्दाफाश करने के लिए कन्नौज लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।’’ बसपा ने डिंपल को मैदान में उतारने को समाजवादी पार्टी की ‘परिवारवादी’ परम्परा का प्रमाण बताते हुए कहा था कि उसने कन्नौज उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करने का फैसला इसलिए किया ताकि नेहरु गांधी परिवार के परम्परागत क्षेत्रों अमेठी, रायबरेली और सुल्तानपुर के लोगों की तरह कन्नौज के लोग सपा के नेताओं की हकीकत समझ लें।
कांग्रेस ने कहा था कि उसने वर्ष 2009 के आम चुनाव में भी कन्नौज सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था, लिहाजा वह इस सीट के उपचुनाव में भी प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
भाजपा ने गत छह जून को नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन ऐन मौके पर जगदेव सिंह यादव नामक पूर्व ब्लाक प्रमुख को अपना प्रत्याशी तो घोषित किया था लेकिन लखनऊ से कन्नौज नहीं पहुंच पाने के कारण वह नामांकन दाखिल नहीं कर सके थे।
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