नई दिल्ली:
आतंकवादी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर को उस समय तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक कि वह पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए।
तिहाड़ केंद्रीय कारा के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भुल्लर को 1993 के बम विस्फोट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
गुप्ता ने कहा कि भुल्लर को ढाई वर्ष पूर्व मानसिक आरोग्यशाला में भेजा गया था और तभी से वह वहां रह रहा है।
गुप्ता ने कहा, "भारतीय कानून के मुताबिक किसी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न घोषित कर दिया जाए।" उन्होंने कहा, "जब हमें भुल्लर के स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र मिल जाएगा तब वह तिहाड़ जेल लाया जाएगा और प्रक्रिया के अनुसार उसे फांसी दी जाएगी।"
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा भुल्लर की दया याचिका ठुकराए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। भुल्लर ने दया याचिका निस्तारण में हुई देरी को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी।
तिहाड़ केंद्रीय कारा के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भुल्लर को 1993 के बम विस्फोट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
गुप्ता ने कहा कि भुल्लर को ढाई वर्ष पूर्व मानसिक आरोग्यशाला में भेजा गया था और तभी से वह वहां रह रहा है।
गुप्ता ने कहा, "भारतीय कानून के मुताबिक किसी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न घोषित कर दिया जाए।" उन्होंने कहा, "जब हमें भुल्लर के स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र मिल जाएगा तब वह तिहाड़ जेल लाया जाएगा और प्रक्रिया के अनुसार उसे फांसी दी जाएगी।"
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा भुल्लर की दया याचिका ठुकराए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। भुल्लर ने दया याचिका निस्तारण में हुई देरी को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी।
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