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This Article is From May 06, 2024

देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई से बीजेपी प्रत्याशी उज्जवल निकम को निशाना बनाने पर विपक्ष को घेरा

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "विपक्षी नेता विजय वड्डेतिवार के अनुसार, उज्ज्वल निकम ने कसाब का अपमान किया."

देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई से बीजेपी प्रत्याशी उज्जवल निकम को निशाना बनाने पर विपक्ष को घेरा
कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार पर सियासी जंग

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार उज्ज्वल निकम पर विपक्षी पार्टी के नेता विजय वडेट्टीवार ने जो बयान दिया, अब उस पर जमकर विवाद हो रहा है. इस मामले में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी अब विपक्ष पर निशाना साधा. दरअसल बीजेपी के उज्ज्वल निकम को उम्मीदवार घोषित करने से विवाद खड़ा हो गया है. फडणवीस ने कहा कि विपक्ष "अजमल कसाब को लेकर चिंतित है" और निकम को निशाना बनाकर आतंकवादियों का समर्थन करना चाहता है. उन्होंने कहा, "विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार के अनुसार, उज्ज्वल निकम ने कसाब का अपमान किया. कसाब ने शहर को आतंकित किया और कांग्रेस उससे चिंतित है. महायुति उज्ज्वल निकम का समर्थन कर रही है और एमवीए कसाब का समर्थन कर रही है, अब आप तय करें कि आपको किसे वोट देना चाहिए."

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मौजूदा सांसद पूनम महाजन को हटाकर पूर्व विशेष लोक अभियोजक निकम को मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा सीट से टिकट दिया है. जो पहले 26/11 के आतंकवादी अजमल कसाब पर अपनी टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में आए थे. उनकी टिप्पणियों ने कानूनी हलकों में हलचल पैदा कर दी और इससे राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई. कांग्रेस ने बीजेपी की पसंद का मजाक उड़ाया था. वरिष्ठ नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी ने ऐसे उम्मीदवार को चुना है जिसका ''26/11 के आतंकवादी अजमल कसाब को जेल में बिरयानी परोसे जाने का झूठ अतीत में उजागर हो चुका है.''कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार उस समय एक बड़े विवाद में आ गए जब उन्होंने कहा कि अजमल कसाब ने पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की हत्या नहीं की थी, बल्कि बीजेपी के वैचारिक गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक पुलिसकर्मी ने की थी, उज्ज्वल निकम गद्दार थे जिन्होंने इस तथ्य को दबाया. उनकी इन टिप्पणियों की शिवसेना ने आलोचना की है.

2008 में मुंबई पर हमला कर 166 लोगों की हत्या करने वाले 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों में से अजमल कसाब एकमात्र जीवित पकड़ा गया था. जिसे लगभग चार साल तक मुंबई जेल में रखा गया और नवंबर 2012 में पुणे में फांसी दे दी गई. 2009 में, तत्कालीन सरकारी वकील निकम ने घोषणा की थी कि कसाब ने जेल में रहते हुए बिरयानी मांगी थी. लेकिन विशेष अदालत के सवालों के बाद उन्होंने कहा था कि यह एक कहानी है जो उन्होंने "मनगढ़ंत" बताई है. उन्होंने मीडिया से कहा था, ''कसाब ने कभी बिरयानी की मांग नहीं की और सरकार ने उसे कभी बिरयानी नहीं परोसी. मैंने मामले की सुनवाई के दौरान कसाब के पक्ष में बन रहे भावनात्मक माहौल को तोड़ने के लिए यह साजिश रची.'' 

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