
- ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले कर सौ से अधिक आतंकियों को मार गिराया.
- मुरीदके और बहावलपुर के आतंकवादी अड्डों को वायुसेना ने सटीक निशाने से नष्ट किया और सैन्य विमान भी तबाह किए.
- पाक सेना और आतंकवादी संगठनों के बीच गहरा गठजोड़ था, जिसमें पाक सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.
सेना के उप सेना प्रमुख और ऑपरेशन सिंदूर के समय डीजीएमओ रहे लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर योजनाबद्ध हवाई हमले किए, जिनमें 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया और 12 से 13 सैन्य विमान नष्ट कर दिए गए.
जनरल घई ने बताया कि इस अभियान में वायुसेना की भूमिका काफी अहम रही .खासकर मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी अड्डों को सटीकता से निशाना बनाया गया. सैटेलाइट इमेज में स्पष्ट दिखता है कि कई हाई-वैल्यू टारगेट्स पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं और मिसाइलें अपने लक्ष्यों को सटीकता से बरबाद कर चुकी हैं.
पाक सेना और आतंकियों का गठजोड़ उजागर
पूर्व डीजीएमओ ने बताया कि इन इलाकों में पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों के बीच गहरा गठजोड़ देखा गया. एक तस्वीर में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी को प्रार्थना सभा की अगुवाई करते हुए देखा गया, जिसमें पाक सेना के वरिष्ठ अधिकारी और चार कॉर्प्स के जीओसी भी मौजूद थे.
सटीक तैयारी और अप्रत्याशित जवाब
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन से पहले सभी संभावित स्थितियों की वॉर-गेमिंग की थी. सेना के उप प्रमुख ने कहा कि हमने पाकिस्तानी प्रतिक्रिया का पहले से अनुमान लगाकर उनकी सेकंड-लेयर डिफेंस को भी निशाना बनाया. इसी अप्रत्याशित जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ .पाकिस्तान चाहकर भी भारत के खिलाफ कुछ खास नहीं कर पाया.
पहलगाम हमले से जुड़ा निर्णायक अभियान
जनरल घई के अनुसार यह अभियान 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में शुरू किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या हुई थी. उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर केवल जवाब नहीं, बल्कि आतंकवाद की जड़ों पर वार था. उन्होंने बताया कि 1980 के दशक के बाद से जम्मू-कश्मीर में 28,000 से अधिक आतंकी घटनाएं, 15,000 नागरिकों की मौत और 3,000 से अधिक जवानों की शहादत हो चुकी है.
रणनीतिक समन्वय का उदाहरण
सेना के डिप्टी चीफ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं, खुफिया एजेंसियों और सूचना युद्ध इकाइयों के बीच सटीक तालमेल रहा. यह अभियान भारत की रणनीतिक सोच, धैर्य और निर्णायक क्षमता का प्रतीक है.
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