डेंगू के मरीजों की संख्या 600 के पार जा चुकी है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में प्लेटलेट्स के जंबो पैक का इंतजाम नहीं हो पाया है. 15 दिन पहले जिला अस्पताल में एफरेसिस मशीन तो लाई गई लेकिन इसे चलाने के लिए शासन से लाइसेंस नहीं मिल पाया है. लग रहा है कि डेंगू का सीजन बीत जाने के बाद ही मशीन चालू हो पाएगी. तब तक गंभीर रूप से बीमार मरीजों को जंबो पैक निजी अस्पताल से खरीदना होगा. इसकी कीमत 11 हजार रुपये है.
जिला एमएमजी अस्पताल को यह मशीन कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड से मुहैया कराई गई है. एमएमजी प्रदेश का पहला जिला अस्पताल है जहां जंबो पैक की व्यवस्था की गई है, लेकिन मशीन स्थापित होने के बाद आधा महीना बीत जाने पर मरीजों की परेशानी दूर नहीं हो पाई है. स्वास्थ्य विभाग की लखनऊ से आई टीम मशीन का निरीक्षण करके जा चुकी है. इसकी रिपोर्ट ड्रग कंट्रोलर को भेज दी गई है. अब इंतजार है सिर्फ लाइसेंस जारी होने का.
सीएमए डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि लाइसेंस के लिए शासन को पत्र लिखा जा चुका है. इसे चलाने के लिए स्टाफ का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है. लाइसेंस के मिलते ही मशीन को चालू करा दिया जाएगा. जिला अस्पताल में छोटी प्लेटलेट्स सेपरेटर मशीन लगी है. इसमें रक्त से अलग कर प्लेटलेट्स पाउच में दी जाती हैं. इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है.
डेंगू के हेमरेजिक मरीजों को प्लेटलेट्स के जंबो पैक की जरूरत होती है. ऐसे मरीजों को चार पाउच दिए जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए ये पाउच निशुल्क हैं जबकि निजी के लिए एक पाउच की कीमत 300 रुपये है. निजी अस्पतालों में एफरेसिस मशीनें लगी हैं. जंबो पैक की जरूरत पड़ने पर सरकारी से चार पाउच लेने के बजाय लोग निजी अस्पताल का रुख कर रहे हैं.
मंगलवार को 21 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है. इस सीजन में पहली बार एक ही दिन में 20 से ज्यादा मरीज मिले हैं. इनको मिलाकर जिले में डेंगू मरीजों की संख्या 635 हो गई है. सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में डेंगू के चार मरीज आए. 17 निजी अस्पताल पहुंचे. निजी और सरकारी अस्पतालों में कुल 32 मरीज भर्ती हैं. अब तक मिले मरीजों में 134 बच्चे शामिल हैं.
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