
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की दिल्ली जोनल यूनिट ने गुप्त तरीके से चल रही एक फार्मा यूनिट का पर्दाफाश करते हुए बड़ी कामयाबी हासिल की है. यह ऑपरेशन दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कई दिनों तक चला, जिसमें अवैध दवाओं का एक पूरा नेटवर्क सामने आया. इस सिंडिकेट के पीछे अंतरराष्ट्रीय लिंक होने के भी संकेत मिले हैं.
ऑपरेशन की शुरुआत कैसे हुई
NCB की टीम ने 9 जनवरी 2025 को दिल्ली के एक कोरियर सेंटर पर कार्रवाई करते हुए 3.6 किलो कोडीन फॉस्फेट टैबलेट्स जब्त की थी. जांच आगे बढ़ी तो NCB ने "बॉटम टू टॉप" अप्रोच अपनाई यानी छोटी मछली से बड़े सरगना तक पहुंचने की रणनीति. जांच में पता चला कि ये दवाएं हरिद्वार के सिडकुल इलाके में स्थित एक अवैध फार्मा यूनिट से बनाई जा रही थीं. आखिरकार, 6 जून 2025 को फैक्ट्री पर छापा मारा गया और वहां से भारी मात्रा में मनश्चिकित्सीय (Psychotropic) दवाएं और रॉ मटेरियल बरामद किया गया.
अब तक की बरामदगी
- 9.144 किलो एल्प्राजोलम
- 2.360 किलो कोडीन फॉस्फेट
- करीब 10,000 टैबलेट्स अलग-अलग ब्रांड की NRx (नशे के लिए दुरुपयोग होने वाली दवाएं)
- 1.383 किलो सूडोएफेड्रिन
- 130.440 किलो रॉ मटेरियल ,आधे बने टैबलेट्स
- इन सभी चीजों को दिल्ली और गाज़ियाबाद में की गई सर्च ऑपरेशन के दौरान भी बरामद किया गया.
8 लोग गिरफ्तार
अब तक 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जांच में यह भी सामने आया कि हरिद्वार की फैक्ट्री के पास कोई वैध दवा निर्माण लाइसेंस नहीं था. यहां मनोसक्रिय दवाओं को बड़े पैमाने पर बनाकर गैरकानूनी रूप से बेचने की तैयारी की जा रही थी.
क्या हैं साइबर और इंटरनेशनल लिंक
NCB को कुछ डिजिटल सबूत और फॉरेन लिंक भी मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है. एजेंसी को शक है कि इन दवाओं की तस्करी विदेशों में भी की जा रही थी. फिलहाल मामले की जांच जारी है और NCB इस सिंडिकेट से जुड़े बाकी लोगों और नेटवर्क की तलाश में लगातार काम कर रही है.
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