भीषण गर्मी की मार झेल रही दिल्ली में पानी का संकट भी बढ़ता जा रहा है. बढ़ते जल संकट की वजह से दिल्ली के लोगों की समस्या भी बढ़ चुकी है. आलम ये है कि राजधानी में पानी के संकट को लेकर सियासत भी गर्मा चुकी है. यही वजह है कि दिल्ली सरकार दिल्ली के पानी संकट पर हरियाणा सरकार को घेर रही है. वहीं हरियाणा सरकार उल्टा दिल्ली सरकार को पानी की किल्लत के लिए दोषी ठहरा रही है. जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां कोर्ट ने हिमाचल को दिल्ली की जरूरत के लिए पानी छोड़ने का कहा था. वहीं हरियाणा सरकार को भी ये कहा गया कि इस पानी को दिल्ली तक पहुंचाया जाए.
हिमाचल प्रदेश ने छोड़ा दिल्ली के लिए पानी
हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य ने दिल्ली के लिए पानी छोड़ दिया है, लेकिन यह हरियाणा से होकर दिल्ली तक जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले हिमाचल प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय राजधानी के लिए 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ने का निर्देश दिया था. साथ ही हरियाणा से कहा था कि वह दिल्ली तक पानी पहुंचाने को आसान बनाए. सुक्खू ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हमने पानी छोड़ दिया है. हमने वकीलों से कहा है कि वे इस बारे में शीर्ष अदालत को सूचित करें.” हिमाचल सीएम ने कहा कि पानी हरियाणा से होकर दिल्ली जाएगा और "हमने अपना पानी नहीं रोका है.”
हरियाणा के मंत्री का दावा, हिमाचल से नहीं मिला पानी
इस बीच हरियाणा में सिंचाई और जल संसाधन मंत्री अभय सिंह यादव ने कहा कि फिलहाल हिमाचल प्रदेश से पानी नहीं मिला है, इसलिए सत्यापन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, "अगर हरियाणा को हिमाचल प्रदेश से पानी मिलता है तो वह तुरंत उसे दिल्ली की ओर भेज देगा." अभय सिंह यादव ने दिल्ली सरकार के इस आरोप को खारिज किया कि हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी के लिए पर्याप्त पानी नहीं छोड़ रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य इस संबंध में न सिर्फ अपने दायित्वों को पूरा कर रहा है, बल्कि उससे भी अधिक कर रहा है.
इसी के साथ हरियाणा के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री अभय सिंह यादव ने कहा कि हरियाणा की हमेशा ही ये प्राथमिकता रही है कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए जलापूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा ना आने पाए. इस बात पर खास जोर दिया कि हरियाणा पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, लेकिन इसके उपयोग और प्रबंधन की जिम्मेदारी दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की है. ............ इसकी पैडिंग करते हुए दिल्ली तक कैसे पहुंचेगा.
दिल्ली में रोजाना 1,300 मिलियन गैलन पानी की जरूरत
दिल्ली को प्रति दिन 1,300 मिलियन गैलन या MGD की जरूरत पड़ती है. लेकिन मौजूदा जल संकट की वजह से लोगों को उनकी जरूरत का पानी नहीं मिल पा रहा. इसमें से दिल्ली जल बोर्ड सिर्फ अनुमानित 1000 MGD ही मुहैया करा पाता है. यही वजह भी है कि पानी की भयंकर किल्लत को देखते हुए पूरे दिल्ली में बोरवेल खुदवाने पर बैन लगा है. लेकिन बवाना में 16000 से ज्यादा ऐसे प्लॉट्स हैं, जहां 1000 से 1200 यूनिट्स में बोरवेल हैं. इन्हें दिल्ली नगर निगम ने 99 साल के लिए लीज पर ले रखा है. ऐसा भी कहा जाता है कि ज्यादातर यूनिट्स वॉटर कनेक्शन लेने से बचते हैं और पानी के टैंकर के भरोसे रहते हैं. इस तरह पानी की चोरी होती है.
दिल्ली और हरियाणा सरकार क्यों आमने-सामने
दिल्ली का आरोप है कि जरूरत के हिसाब से हरियाणा उसे पानी नहीं दे रहा. वहीं हरियाणा सरकार का कहना है कि दिल्ली के जल संकट के लिए आप सरकार ही जिम्मेदार है, हम तो पर्याप्त पानी मुहैया करा रहे हैं. नतीजतन दिल्ली में जारी जल संकट (Delhi Water Crisis) के बीच हरियाणा और दिल्ली में ठनी हुई है. भीषण गर्मी के बीच राजधानी दिल्ली इन दिनों पानी के भीषण संकट से जूझ रही है. सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक पानी दिल्ली के लिए छोड़ने का आदेश दिया था. लेकिन हालात ये है कि अदालत के आदेश के बावजूद भी दिल्ली को पानी नहीं मिल पा रहा है. इस पर दिल्ली सरकार ने चिंता जताई है.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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