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This Article is From Jun 21, 2024

दिल्ली में पहली बार ऐसी गर्मी! 70 से ज्यादा मौत, 74 साल का रेकॉर्ड भी टूट गया

मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों को अब जल्द ही गर्मी से राहत मिलने जा रही है. विभाग के अनुसार इस महीने के आखिर तक दिल्ली में मानसून पहुंच जाएगा. बता दें कि इस बार की गर्मी ने कई साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.

दिल्ली में पहली बार ऐसी गर्मी! 70 से ज्यादा मौत, 74 साल का रेकॉर्ड भी टूट गया
दिल्ली एनसीआर में बढ़ते पारा ने तोड़े कई रिकॉर्ड
नई दिल्ली:

दिल्ली में गर्मी से बीते कुछ सप्ताह में लोग किस कदर बेहाल हैं इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इस साल हीट वेव जितने दिनों का रहा है उसने बीते कई दशकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. इस गर्मी में जितने दिनों के लिए हीटवेव की स्थिति देखने को मिली है वो बीते 74 सालों में सबसे ज्यादा है. बात सिर्फ हीटवेव की ही नहीं है. इस साल मई और जून के मध्य तक जिस तरह की गर्मी दिल्ली में देखी गई है वो कई रिकॉर्ड पहले ही तोड़ चुकी है. पिछले महीने 29 मई को दिल्ली  तापमान 46.8 दर्ज किया गया था. आपको बता दें कि 29 मई 1944 में दर्ज किए गए 47.2 डिग्री के बाद दूसरा सबसे अधिक तापमान है. 1998 में दिल्ली का तापमान 46.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. 

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आपको बता दें कि इस साल की तरह बीते कई दशक में ऐसे सात दिन नहीं थे जब अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक था. इससे पहले 1998 में ऐसे लगातार चार दिन थे जब तापमान 45 डिग्री से ज्यादा रहा था. 
मौजूदा दौर में लू के 12 दिन हो चुके हैं, मई में पांच और जून में अब तक सात दिन. 

इसके अलावा, मौजूदा दौर में लगातार छह दिनों तक 'गर्म रात' की स्थिति बनी रही (जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक और न्यूनतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होता है). 19 जून को रात में उच्चतम अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री दर्ज किया गया था, जो 1964 के बाद से राजधानी में सबसे अधिक न्यूनतम तापमान था.

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आईएमडी के अनुसार, लू वाला दिन तब होता है जब अधिकतम तापमान या तो 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होता है, या जब यह 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है. 

लू की वजह से दिल्ली-एनसीआर में जा चुकी हैं काई जानें 

बीते कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह से पारा और चढ़ा है उससे कई लोगों के बीमार और कइयों की मौत होने की भी खबर है. मीडिया में छपी अलग-अलग खबरों के मुताबिक दिल्ली में अभी तक 70 लोगों की बात सामने आ रही है. वहीं अगर गाजियाबाद और अन्य एनसीआर के शहरों की बात करें तो यहां भी ये आंकड़ा 50 से ज्यादा लोगों का बताया जा रहा है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर प्रशासन की तरफ से इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं की गई है. 

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क्या है अल नीनो की वजह से बढ़ी है गर्मी? 

आइये पहले हम सझते हैं कि अल नीनो कहते किसे हैं. सरल शब्दों में अगर इसे समझना चाहें तो हम कहेंगे कि ये वातावरण में होने वाला एक ऐसा बदलाव है जो समुद्र की सतह पर चलने वाली हवाओं से तय होता है. अब ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या अल नीनो की वजह से ही दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है. तो इसका जवाब है हां. दरअसल, अल नीनो के कारण ही हीट वेव का स्पेल यानी हीट वेव कितने दिनों तक रहा, उसकी संख्या बढ़ गई है. 

आखिर ये बनता कैसे है ? 

अल नीनो इफेक्ट को समझने की जरूरी है कि आप पहले इसके बनने की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझें. अलग-अलग मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार एशिया और अमेरिका के बीच फैले प्रशांत महासागर के बीच जब हवाए पूर्व से पश्चिम की तरफ चलती हैं, जिसे ट्रेड विंड्स कहा जाता है. पृथ्वी की रोटेशन की वजह से ये हवाएं ज्यादातर समय अमेरिका से लेकर ये एशिया और ऑस्ट्रेलिया की तरफ चलती हैं. इन ट्रेड विंड्स के उल्टी डायरेक्शन में चलने की एक और सबसे बड़ी वजह होती है कॉरिऑलिस इफेक्ट. चुकि धरती पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमती है ऐसे में इस कॉरिऑलिस इफेक्ट के कारण ये हवाएं पूर्व से पश्चिम यानी उलटी दिशा में चल रही हैं.

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इसकी वजह से प्रशांत महासागर की सतह पर जो पानी होता है वह पश्चिम की दिशा में बहने लगता है. यानी ऑस्ट्रेलिया की तरफ बहने लगता है. अब ऐसे में होता ये है कि जब महासागर की सतह का पानी जब पश्चिम की तरफ बहने लगता है तो ऐसे में महासागर के पूर्व की दिशा में जो पानी महासागर की सहत के नीचे था वो धीरे धीरे करके ऊपर की तरफ आता है. मतलब ये कि साउथ अमेरिका के पास समुद्र की सहत के नीचे का पानी ऊपर की तरफ आने लगता है. इस पूरी प्रकिया को अपवेलिंग कहा जाता है. 

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Photo Credit: IANS

अब ऐसे में जो पानी समुद्र के नीचे से ऊपर की तरफ आ रहा होता है वो पहले से जो पानी ऊपर की ऊपरी सतह पर मौजूद था उसकी तुलना में ज्यादा ठंडा होता है. मतलब समुद्र के ऊपर की सतह का जो गरम पानी था वो अब ऑस्ट्रेलिया और एशिया की तरफ चला जाता है और समुद्र के नीचे का ठंडा पानी दक्षिण अमेरिका के पास समुद्र की सतह पर आ जाता है. चुकि जो पानी ऑस्ट्रेलिया और एशिया की तरफ मूव करके पहुंचा है वो गर्म है तो भाप भी जल्दी से बन जाता है. और बादल बनने की वजह से उस इलाके में या उसके आसपास के इलाकों में ज्यादा बारिश होती है. 

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दिल्ली में मौसम हुआ सुहावना, जल्द हो सकती है बारिश

दिल्ली में बीते दो दिनों से मौसम सुहावना बना हुआ है. आसमान में बादल छाए हुए हैं और रह-रहकर तेज हवाएं चल रही हैं. आसमान में बादल छाए होने की वजह से दिल्ली वालों को झुलसा देने वाली गर्मी से कुछ राहत जरूर मिली है. मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में एक बार फिर गर्मी का सितम बढ़ सकता है लेकिन महीने के आखिर में दिल्ली और एनसीआर में बारिश की भी संभावना जताई जा रही है. यानी अगले कुछ दिनों के बाद दिल्ली एनसीआर में मानसून की बारिश होने की संभावना है, जिससे जून के आखिर और जुलाई के पहले सप्ताह में लोगों को तपिश से राहत मिल सकती है. 

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