महीनों से घर में बंद थी 17 साल की युवती
नई दिल्ली:
17 साल की एक लड़की को एक कूड़े से भरे एक फ्लैट से छुड़वाया गया है. लड़की के माता-पिता कई सालों से गुजारा भत्ता को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. पूर्वी दिल्ली के मंडावली इलाके में यह लड़की पिछले तीन महीने से अकेली रह रही थी. इस किशोरी को पड़ोसियों से जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने बचाया. पड़ोसियों ने पुलिस को जानकारी दी जिसके बाद लड़की को वहां से निकालकर एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. किशोरी फ्लैट में रह रही थी, जिसे अंदर से बंद रखा गया था.
वह दो बार खाना खाती थी और सोफे पर सोती थी, जिसके आस-पास कूड़ा था. वह दूसरी मंजिल पर दो कमरे के फ्लैट में रहती थी. बचाए जाने और मयूर विहार के एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उसने दावा किया कि उसने स्वेच्छा से खुद को कमरे में बंद कर रखा था. चूंकि कोई शिकायत नहीं मिली है, इसलिए मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हालांकि दिल्ली पुलिस इस संबंध में महिला आयोग की ओर से निर्देश मिलने पर कार्रवाई करने का इंतजार कर रही है.
हालांकि पड़ोसियों ने आरोप लगाया कि लड़की को जबरदस्ती उसकी मां ने इस फ्लैट में रखा गया था. लड़की की 44 साल की मां अपने पति के साथ कड़कड़डूमा कोर्ट में गुजारा भत्ता केस लड़ रही है. इस दंपति के दो बच्चे हैं. मां अपनी 22 साल की बड़ी बेटी के साथ पांडव नगर में किराये के मकान में रहती है.
जब पड़ोसियों ने युवती के रोने की आवाज सुनी तो पुलिस को बुलाया गया. जब पुलिस पहुंची तो मां को भी बुलाया गया. शुरुआत में तो मां ने दरवाजा खोलने के लिए मना कर दिया, लेकिन जब पुलिस ने जोर दिया था दरवाजा खोला गया.
दरवाजा खुला तो देखा लड़की सोफे पर बैठी है और ठीक से बोल भी नहीं पा रही है. इसके बाद लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस का दावा है कि लड़की ने अपनी मां पर किसी तरह के आरोप नहीं लगाए हैं. लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि तलाक के बाद उन्हें बच्चों से मिलने नहीं दिया गया.
वह दो बार खाना खाती थी और सोफे पर सोती थी, जिसके आस-पास कूड़ा था. वह दूसरी मंजिल पर दो कमरे के फ्लैट में रहती थी. बचाए जाने और मयूर विहार के एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उसने दावा किया कि उसने स्वेच्छा से खुद को कमरे में बंद कर रखा था. चूंकि कोई शिकायत नहीं मिली है, इसलिए मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हालांकि दिल्ली पुलिस इस संबंध में महिला आयोग की ओर से निर्देश मिलने पर कार्रवाई करने का इंतजार कर रही है.
हालांकि पड़ोसियों ने आरोप लगाया कि लड़की को जबरदस्ती उसकी मां ने इस फ्लैट में रखा गया था. लड़की की 44 साल की मां अपने पति के साथ कड़कड़डूमा कोर्ट में गुजारा भत्ता केस लड़ रही है. इस दंपति के दो बच्चे हैं. मां अपनी 22 साल की बड़ी बेटी के साथ पांडव नगर में किराये के मकान में रहती है.
जब पड़ोसियों ने युवती के रोने की आवाज सुनी तो पुलिस को बुलाया गया. जब पुलिस पहुंची तो मां को भी बुलाया गया. शुरुआत में तो मां ने दरवाजा खोलने के लिए मना कर दिया, लेकिन जब पुलिस ने जोर दिया था दरवाजा खोला गया.
दरवाजा खुला तो देखा लड़की सोफे पर बैठी है और ठीक से बोल भी नहीं पा रही है. इसके बाद लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस का दावा है कि लड़की ने अपनी मां पर किसी तरह के आरोप नहीं लगाए हैं. लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि तलाक के बाद उन्हें बच्चों से मिलने नहीं दिया गया.
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