![''कोई भी धमकी...'': दिल्ली पुलिस के केस दर्ज करने के बाद ग्रेटा थनबर्ग का नया ट्वीट ''कोई भी धमकी...'': दिल्ली पुलिस के केस दर्ज करने के बाद ग्रेटा थनबर्ग का नया ट्वीट](https://c.ndtvimg.com/2020-01/1ff9eeic_greta-thunberg-_625x300_21_January_20.jpg?downsize=773:435)
Farmers Protest: ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के किसानों के आंदोलन के समर्थन को लेकर 'टूलकिट' संबंधी विवादास्पद ट्वीट का दिल्ली पुलिस की ओर से गुरुवार को फाइल किए गए केस में जिक्र है, इसमें आपराधिक साजिश और समूहों में दुश्मनी फैलाने का आरोप लगाया गया है. हालांकि इसके बावजूद पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करने वाली ग्रेटा अविचलित हैं, उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'मैं अभी भी किसानों के समर्थन में खड़ी हूं और नफरत, धमकी या मानवाधिकारों का उल्लंघन इसे बदल नहीं सकेगा #FarmersProtest..'
किसान कानूनों के खिलाफ दिल्ली से जुड़ी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में ग्रेटा के ट्वीट ने पिछले दो दिनों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां हासिल की हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नवंबर माह से आंदोलन कर रहे हैं.दिल्ली पुलिस की साइबर सेल कई ट्वीटस की जांच कर रही है लेकिन एफआईआर, ग्रेटा की ओर से सुबह एक 'टूलकिट' शेयर कर लोगों को किसान आंदोलन को समर्थन करने संबंधी मार्गदर्शन देने पर केंद्रित है.दिल्ली पुलिस ने कहा, 'कुछ तत्व किसानों के प्रदर्शनों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं और एक एकाउंट में एक टूलकिट पोस्ट की गई है जो ''पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन'' नाम का ग्रुप का है, यह ''खालिस्तानी संगठन'' है ' स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस प्रवीर रंजन ने कहा, 'टूलकिट पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने भारत सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाने (राजद्रोह) और विभिन्न ग्रुपों में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने और मानवता की बहाली में पूर्वाग्रह से कार्य करने के आरोप में केस दर्ज किया है.' उन्होंने कहा कि टूलकिट, ''संगठित विदेशी नेटवर्क की ओर से प्रदर्शनकारी किसानों की भड़काने की साजिश'' का खुलासा करता है.
FIR फाइल होते ही ग्रेटा ने नया ट्वीट कर फिर किसानों के प्रति समर्थन जताया. उन्होंने लिखा, 'मैं अभी भी किसानों के साथ खड़ी हूं और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करती हूं.नफरत, धमकी या मानवाधिकारों का उल्लंघन इसे बदल नहीं सकेगा. #FarmersProtest..'
I still #StandWithFarmers and support their peaceful protest.
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 4, 2021
No amount of hate, threats or violations of human rights will ever change that. #FarmersProtest
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18 साल की ग्रेटा का पहला ट्वीट मंगलवार रात को पॉप स्टार रिहाना की ओर से CNN की एक खबर के साथ किए गए एक लाइन के कमेंट के बाद सामने आया था. उन्होंने ट्वीट में लिखा था, ‘हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं.' अपने ट्वीट के साथ उन्होंने CNN की उसी स्टोरी को शेयर किया था जिसमें सरकार की ओर से प्रदर्शन स्थल पर इंटरनेट बंद किए जाने का उल्लेख था.
We stand in solidarity with the #FarmersProtest in India.
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 2, 2021
https://t.co/tqvR0oHgo0
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गुरुवार को स्वीडन की इस क्लाइमेट वर्कर ने एक 'टूलकिट' शेयर कर लोगों को इस बारे में सलाह दी थी कि वे किस तरह से आंदोलन को समर्थन कर सकते हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इसे किसानों को उकसाने के लिए 'एक संगठित विदेशी नेटवर्क की ओर से की गई साजिश' करार दिया था.
Here's an updated toolkit by people on the ground in India if you want to help. (They removed their previous document as it was outdated.)#StandWithFarmers #FarmersProtesthttps://t.co/ZGEcMwHUNL
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) February 3, 2021
गौरतलब है कि् सरकार ने किसान आंदोलन को लेकर इंटरनेशनल ट्वीट पर असाधारण और तीखी प्रतिक्रिया दी थी, इसमें सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैम और कमेंट को लेकर चेतावनी देते हुए कहा गया था कि यह प्रदर्शन भारत के 'बहुत छोटे हिस्से से आने वाले किसान' कर रहे हैं.इस बयान में सरकार ने #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda जैसे हैशटैग्स के साथ कहा कि 'हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि यह प्रदर्शन भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सरकार और इससे जुड़े किसान संगठन की समस्या को सुलझाने की कोशिशों के संदर्भ देखा जाना चाहिए.'बयान में कहा गया है कि 'हम आग्रह करना चाहेंगे कि ऐसे मसलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्य देखे जाएं और मसले को पूरी तरह समझ लिया जाए. सोशल मीडिया हैशटैग्स और कमेंट्स की सनसनी के लालच में पड़ने, खासकर सेलेब्रिटीज़ की ओर से, न तो बस गलत है, बल्कि गैर-जिम्मेदाराना है.'बयान में सरकार की ओर से कृषि कानूनों के संदर्भ में कहा गया है कि 'कृषि क्षेत्र के इन सुधारात्मक कानूनों को' पूरी डिबेट और चर्चा के बाद पास किया गया है और जो सुधार लाए गए हैं, वो 'किसानों की बाजार तक पहुंच को और बढ़ाते हैं और किसानी को ज्यादा लचीला बनाते हैं.' सरकार ने जोर दिया है कि ये कानून आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से से सतत कृषि के लिए रास्ता बनाने वाले हैं.
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