
- दिल्ली पुलिस की साउथ-ईस्ट डिस्ट्रिक्ट की SIT ने अंतरराज्यीय बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया
- इस गिरोह ने बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर गरीब परिवारों से बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेच दिया था
- पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अब तक छह बच्चों को सुरक्षित बरामद किया गया है
दिल्ली पुलिस की साउथ-ईस्ट डिस्ट्रिक्ट की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक अंतरराज्यीय बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह खासकर बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर गरीब और मजबूर परिवारों को निशाना बनाता था, बच्चों का अपहरण करता और फिर उन्हें बेच देता था. इस ऑपरेशन में पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अब तक 6 बच्चों को सुरक्षित बरामद किया गया है.
दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के डीसीपी हेमंत तिवारी के मुताबिक 22 अगस्त 2025 को यूपी के बांदा जिले का रहने वाला सुरेश नाम का मजदूर अपने परिवार के साथ बस से राजस्थान के लिए रवाना हुआ था. रास्ते में परिवार सराय काले खां ISBT पर रात गुजारने के लिए रुका.
रात करीब 11 बजे जब पूरा परिवार प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर सो रहा था, सुरेश का 6 महीने का बेटा अचानक गायब हो गया. घबराए परिवार ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. इसके बाद मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई. बच्चे के अपहरण का मामला बेहद संवेदनशील था. तुरंत ही एक SIT बनाकर जांच शुरू की गई.
इसके बाद सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. उसमें दिखा कि संदिग्ध लोग बच्चे को बस अड्डे से बाहर ले जा रहे हैं.
सबसे पहले CCTV फुटेज खंगाले गए. उसमें दिखा कि संदिग्ध लोग बच्चे को बस अड्डे से बाहर ले जा रहे हैं. तकनीकी निगरानी और मुखबिरों की मदद से पता चला कि आरोपी वीरभान आगरा के पिनाहट इलाके में है. टीम ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया.
पूछताछ में वीरभान ने बताया कि उसे उसके ससुर कालिचरण और एक अन्य शख्स रामवरण ने बच्चे को अपहरण कर बेचने के लिए कहा था. वीरभान और कालिचरण ने बच्चे को आगरा के K.K हॉस्पिटल के मालिक डॉ. कमलेश को सौंप दिया था. इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर दिल के मरीज बनकर अस्पताल पहुमचे.
उनके साथ दो एसआई अटेंडेंट बनकर गए डॉक्टर को उनके कमरे में बुलाया गया और वहीं गिरफ्तार कर लिया गया. डॉ. कमलेश ने कबूला कि उसने बच्चे को सुंदर नाम के शख्स को बेच दिया है. सुंदर पुलिस की भनक पाते ही भाग निकला पुलिस ने उसे यूपी-राजस्थान बॉर्डर पर 50 किलोमीटर पीछा कर पकड़ लिया. सुंदर ने खुलासा किया कि बच्चे को आगरा के कृष्णा शर्मा और प्रीति शर्मा को बेचा गया है. जब पुलिस ने उनके घर छापा मारा तो 6 महीने का बच्चा वहीं से बरामद हो गया.
जांच में पता चला कि यह गिरोह पहले भी कई बच्चों को बेच चुका है. SIT ने लगातार छापेमारी कर बच्चों को बचाया. आगरा से दो महीने का एक बच्चा मिला. वहीं 2 महीने का एक और बच्चा और 10 दिन के एक बच्चे को बचाया गया है. वहीं फतेहाबाद से एक साल की बच्ची को छुड़ाया गया है. यानि कुल 6 बच्चों को अब तक सुरक्षित निकाला गया.
गिरफ्तार आरोपी और प्रोफाइल
- वीरभान (30) – अपहरणकर्ता
- कालिचरण (45) – वीरभान का ससुर
- डॉ. कमलेश (33) – K.K हॉस्पिटल, आगरा
- सुंदर (35) – मुख्य सप्लायर, पहले भी केस दर्ज
- कृष्णा शर्मा (28) –BAMS डॉक्टर ,अनवॉन्टेड शिशुओं की डिलीवरी करती थी
- प्रीति शर्मा (30) –BMS डॉक्टर ,कृष्णा की बहन ,खरीदार
- रितु (40) – पहले भी मानव तस्करी में शामिल
- ज्योत्सना (39) – दलाल
- रुबीना उर्फ रचिता (42) – दलाल
- निखिल (22) – सप्लायर
पुलिस के मुताबिक ये गिरोह अब तक की जांच के हिसाब से 10 से ज्यादा बच्चे बेच चुका है. इनका रैकेट देश के कई राज्यों में फैला है. डेढ़ लाख से लेकर 7 लाख तक में बच्चे बेचते थे और अडॉप्शन के फर्जी पेपर भी तैयार करते थे. SIT अब गिरोह के बाकी सदस्यों और अब तक बेचे गए बच्चों की तलाश में जुटी है.
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