दिल्ली मेट्रो ट्रैक (Delhi Metro Track) से केबल चोरी के मामले पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. इस घटना को अंजाम देने वाले गैंग के सदस्यों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बीते दिनों मेट्रो ट्रैक से केवल चोरी होने से मेट्रो ट्रेन यातायात बाधित हुई थी. चोरी की गई केबल और चोरी में इस्तेमाल गाड़ियां भी पुलिस ने बरामद किए हैं.
केबल की लाखों में होती है कीमत
मेट्रो ट्रेन के परिचालन के लिए उपयोग होने वाले इस केबल की कीमत लाखों में होती है. यही कारण है कि इसके ऊपर चोरों की नजर रहती है. साल 2020 से लेकर 2022 के दौरान केबल चोरी की घटनाओं में काफी उछाल देखने को मिले. साल 2020 में 54 मामले दर्ज हुए थे वहीं 2021 में 57 और 2022 में 63 मामले सामने आए. इन मामलों में गिरफ्तारी का प्रतिशत कम रहा है जिस कारण चोरों के हौसले बढ़े हुए हैं.
चोर केबल को क्यों बनाते हैं निशाना?
मेट्रो केबल भी तांबे के बने होते हैं.तांबा एक महंगा धातु है जिसकी मांग विभिन्न उद्योगों में बहुत अधिक है. चोरी किए गए तांबे को आसानी से बेचा जा सकता है, जिससे चोरों को तुरंत पैसा मिल जाता है. कुछ जगहों पर मेट्रो केबलों तक पहुंचना अपेक्षाकृत आसान होता है, खासकर रात के समय या कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में.
मेट्रो केबल क्यों है महत्वपूर्ण
मेट्रो केबल मेट्रो रेल सिस्टम की जीवन रेखा होती है. ये मोटी, इन्सुलेटेड तार होती हैं जो मेट्रो ट्रेनों को बिजली, संचार और नियंत्रण संकेत प्रदान करती हैं. ये केबल मेट्रो स्टेशनों और ट्रेनों के बीच बिछाई जाती हैं और यह एक बेहद कंप्लेक्स नेटवर्क होती है.
मेट्रो में कई तरह के केबल का उपयोग होता रहा है. जैसे पावर केबल, संचार केबल और सिग्नलिंग केबल साधारण तौर पर सभी केबल को मिलाकर सिर्फ केबल शब्द का प्रयोग होता है. जब भी केबल चोर द्वारा चोरी कर ली जाती है तो ये तीनों व्यवस्था ठप हो जाती है. जिसका असर मेट्रो के परिचालन पर होता है.
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