- दिल्ली पुलिस ने नकली पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग वेबसाइट बनाकर सरकारी नौकरी का झांसा देने वाले गिरोह को पकड़ा
- गिरोह ने ASI में क्यूरेटर और जूनियर असिस्टेंट की भर्ती का नकली विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल किया
- जयपुर में असली परीक्षा केंद्र बुक कर नकली परीक्षा आयोजित कर युवाओं को नौकरी का भरोसा दिलाया गया था
फर्जी वेबसाइड, नकली परीक्षा और लाखों रुपये ठगने की साजिश! दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) स्पेशल सेल ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी देने का झांसा देकर उनकी मेहनत और उम्मीदों से खेल रहा था. यह गिरोह पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ( ASI) के नाम पर एक नकली वेबसाइट बनाकर भर्ती प्रक्रिया जैसा पूरा सिस्टम चला रहा था. वेबसाइट देखने में बिल्कुल असली सरकारी वेबसाइट जैसी थी, इसलिए उम्मीदवारों को कोई शक नहीं हुआ.
ASI में फर्जी भर्ती का इश्तिहार
गिरोह ने दावा किया कि एएसआई में 7 क्यूरेटर और 84 जूनियर असिस्टेंट की भर्तियां हो रही हैं. इस तरह की सरकारी नौकरी हर युवा की इच्छा होती है, इसलिए लिंक सोशल मीडिया, कॉलेज स्टूडेंट ग्रुप्स, ऑनलाइन चैट्स और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर बहुत तेज़ी से वायरल हो गया. देशभर से सैकड़ों युवाओं ने भरोसा करके आवेदन किया. गिरोह ने केवल वेबसाइट ही नहीं बनाई, बल्कि पूरी भर्ती प्रक्रिया की कॉपी तैयार कर दी. उन्होंने 150 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया. इनके बारे में यह भी पता लगाया गया कि कौन अच्छे परिवार से है, किसकी आर्थिक स्थिति मजबूत है, ताकि बाद में उनसे मोटी रकम वसूली जा सके.
असली परीक्षा केंद्र में नकली एग्जाम
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गैंग ने जयपुर में एक असली परीक्षा केंद्र भी बुक कर लिया. यहां सरकारी परीक्षा की तरह बैठने की व्यवस्था, प्रश्नपत्र और परीक्षा अनुशासन का पूरा पालन किया गया. उम्मीदवारों को लगा कि अगर परीक्षा इस तरीके से हो रही है, तो भर्ती असली ही होगी. यह माहौल देखकर किसी को शक नहीं हुआ. गिरोह की योजना साफ थी. लिखित परीक्षा में करीब 50 प्रतिशत उम्मीदवारों को पास दिखाना था. फिर उन्हें इंटरव्यू के नाम पर बुलाया जाता और वहीं उनसे पैसे मांगे जाते. जिसको जितनी नौकरी की गारंटी चाहिए, उतनी रिश्वत देनी होती. यानी पैसे लेकर सरकारी नौकरी बेचने की साजिश तैयार थी.
कैसे IFSO के हत्थे चढ़े ठग
लेकिन इससे पहले कि इंटरव्यू का चरण शुरू होता और युवाओं से पैसा वसूला जाता, दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट हरकत में आ गई. टीम ने तकनीकी सुबूत इकट्ठे किए, साइबर निगरानी की और तेज़ी से कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार किए गए लोगों में 30 साल का कुलदीप शामिल है, जो B.Com कर चुका है और LLB कर रहा था. दूसरे आरोपी 25 साल का पीयूष है, जो कंप्यूटर साइंस में B.Tech हैं और उसी ने यह वेबसाइट बनाई थी.
पुलिस ने गिरफ्तार लोगों के पास से मोबाइल फोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैबलेट, iPad और बैंक पासबुक भी जब्त किए हैं. अगर पुलिस समय पर कार्रवाई न करती तो देशभर के कई युवा इंटरव्यू के नाम पर हज़ारों-लाखों रुपये का नुकसान झेलते. यह कार्रवाई साइबर अपराध के खिलाफ एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे पुलिस समय रहते कार्रवाई कर दे, तो लोगों की बचत और भविष्य दोनों सुरक्षित हो सकते हैं.
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