दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार के पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल को शहीद का दर्जा दिए जाने का मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया है. इस मामले पर हाईकोर्ट अगले हफ्ते आदेश सुना सकता है.
सोमवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये प्रीमेच्योर हैं. इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. वहीं याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह कदम खुदकुशी को महिमामंडित कर रही है.
दरअसल CRPF के पूर्व कर्मी समेत दो अलग-अलग लोगों ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने साउथ एवेन्यू इलाके में खुदकशी करने वाले पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल को दिल्ली सरकार द्वारा एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को नौकरी व शहीद का दर्जा दिए जाने की घोषणा को चुनौती दी है और दिल्ली सरकार की इस घोषणा को रद्द करने की मांग की है.
याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार बिना मंत्रिमंडल में आदेश पारित कर ऐसी घोषणा कैसे कर सकती है? यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) के तहत गैर-कानूनी है. ग्रेवाल दिल्ली के निवासी नहीं थे. उन्हें दिल्ली सरकार अनुकंपा राशि कैसे दे सकती है. वहीं, यह 1 करोड़ की रकम दिल्ली के जनता द्वारा टैक्स में दिए पैसे हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रकार के फैसले से आम लोगों में गलत संदेश जाएगा और यह निर्णय आत्महत्या जैसे अपराध को महिमामंडित कर रहा है. आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार शहीद का दर्जा देकर आत्महत्या के फैसले को समर्थन दे रही है, जबकि आत्महत्या करना या करने का प्रयास करना भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत अपराध है. ऐसे मामलों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि दिल्ली सरकार राजनीति कर रही है. यह दूसरों को प्रलोभन देना है. सरकार का यह कदम आम लोगों के हित में नहीं है. इतना ही नहीं यह बॉर्डर पर तैनात अपने सैनिकों का भी अपमान है. हाईकोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार, उपराज्यपाल शहीद का दर्जा दिए जाने के लिए गाइडलाइन बनाएं.
CRPF के पूर्वकर्मी पूरण चंद आर्य व वकील अवध कौशिक ने ये याचिकाएं दायर की हैं. याचिकाओं में कहा गया है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में स्पष्ट किया था कि केवल देश के लिए जान गंवाने वाले व्यक्ति को शहीद का दर्जा दिया जाता है.
चाहे वह सशस्त्र बल के सैनिक हों या फिर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल का हिस्सा रहे हैं. याचिकाकर्ता ने मीडिया में आई खबरों को आधार बनाते हुए कहा है कि 1 नवंबर को ग्रेवाल ने साउथ एवेन्यू इलाके में स्थित जवाहर भवन के सामने स्थित पार्क में सल्फास खाकर खुदकशी कर ली. इसके बाद 3 नवंबर को दिल्ली सरकार ने ग्रेवाल के परिजनों को एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को नौकरी व उसे शहीद का दर्जा देने की घोषणा की.
सोमवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये प्रीमेच्योर हैं. इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. वहीं याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह कदम खुदकुशी को महिमामंडित कर रही है.
दरअसल CRPF के पूर्व कर्मी समेत दो अलग-अलग लोगों ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने साउथ एवेन्यू इलाके में खुदकशी करने वाले पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल को दिल्ली सरकार द्वारा एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को नौकरी व शहीद का दर्जा दिए जाने की घोषणा को चुनौती दी है और दिल्ली सरकार की इस घोषणा को रद्द करने की मांग की है.
याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार बिना मंत्रिमंडल में आदेश पारित कर ऐसी घोषणा कैसे कर सकती है? यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) के तहत गैर-कानूनी है. ग्रेवाल दिल्ली के निवासी नहीं थे. उन्हें दिल्ली सरकार अनुकंपा राशि कैसे दे सकती है. वहीं, यह 1 करोड़ की रकम दिल्ली के जनता द्वारा टैक्स में दिए पैसे हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रकार के फैसले से आम लोगों में गलत संदेश जाएगा और यह निर्णय आत्महत्या जैसे अपराध को महिमामंडित कर रहा है. आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार शहीद का दर्जा देकर आत्महत्या के फैसले को समर्थन दे रही है, जबकि आत्महत्या करना या करने का प्रयास करना भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत अपराध है. ऐसे मामलों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि दिल्ली सरकार राजनीति कर रही है. यह दूसरों को प्रलोभन देना है. सरकार का यह कदम आम लोगों के हित में नहीं है. इतना ही नहीं यह बॉर्डर पर तैनात अपने सैनिकों का भी अपमान है. हाईकोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार, उपराज्यपाल शहीद का दर्जा दिए जाने के लिए गाइडलाइन बनाएं.
CRPF के पूर्वकर्मी पूरण चंद आर्य व वकील अवध कौशिक ने ये याचिकाएं दायर की हैं. याचिकाओं में कहा गया है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में स्पष्ट किया था कि केवल देश के लिए जान गंवाने वाले व्यक्ति को शहीद का दर्जा दिया जाता है.
चाहे वह सशस्त्र बल के सैनिक हों या फिर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल का हिस्सा रहे हैं. याचिकाकर्ता ने मीडिया में आई खबरों को आधार बनाते हुए कहा है कि 1 नवंबर को ग्रेवाल ने साउथ एवेन्यू इलाके में स्थित जवाहर भवन के सामने स्थित पार्क में सल्फास खाकर खुदकशी कर ली. इसके बाद 3 नवंबर को दिल्ली सरकार ने ग्रेवाल के परिजनों को एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को नौकरी व उसे शहीद का दर्जा देने की घोषणा की.
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