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दिल्ली की इस कॉलोनी को 60 साल बाद ड्रग्स माफियाओं से मिली मुक्ति, काम आई पुलिस की ये रणनीति

पुलिस भी इस इलाके में आने से डरती थी क्योंकि कई बार पुलिस पर हमले होते थे. लगभग 300 घरों वाली यह कॉलोनी कई बार आग की भेंट चढ़ी और पुनर्निर्माण हुआ, लेकिन ड्रग्स का धंधा बदस्तूर जारी रहा.

दिल्ली की इस कॉलोनी को 60 साल बाद ड्रग्स माफियाओं से मिली मुक्ति, काम आई पुलिस की ये रणनीति
(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली के सदर बाजार स्थित प्रियदर्शिनी कॉलोनी, जो पिछले 60 वर्षों से ड्रग्स के काले कारोबार का गढ़ बन चुकी थी, आखिरकार नशे के सौदागरों से मुक्त हो गई है. यह सफलता दिल्ली पुलिस की नई रणनीति, समर्पित पुलिसकर्मियों, और जिला उपायुक्त राजा बांतिया की सख्त कार्रवाई का नतीजा है.

ड्रग्स का गढ़ बनी कॉलोनी की कहानी

दरअसल, प्रियदर्शिनी कॉलोनी की बसावट 60 साल पहले मेहनतकश मजदूरों के लिए की गई थी, लेकिन जल्द ही यह जगह ड्रग्स के कारोबार का केंद्र बन गई. यहां चरस, गांजा, शराब से लेकर हर प्रकार की महंगी ड्रग्स 24 घंटे उपलब्ध थी. दिल्ली NCR से लोग यहां नशीले पदार्थ खरीदने आते थे. यहां तक कि पुलिस भी इस इलाके में आने से डरती थी क्योंकि कई बार पुलिस पर हमले होते थे. लगभग 300 घरों वाली यह कॉलोनी कई बार आग की भेंट चढ़ी और पुनर्निर्माण हुआ, लेकिन ड्रग्स का धंधा बदस्तूर जारी रहा.

इस बस्ती पर संजय मंडल नाम का एक व्यक्ति का ड्रग्स साम्राज्य चलता था. यह अपने सगे संबंधियों के साथ यहां लंबे समय से नशे का कारोबार चला रहा था. 10 साल की सजा काटने के बाद भी वह अपने गोरखधंधे में सक्रिय रहा. रात के अंधेरे में नाबालिग बच्चों से ड्रग्स बिकवाई जाती थी. कुतुब रोड और आसपास की सड़कों पर सरेआम यह काम चलता था, जिससे इलाके में डर और असुरक्षा का माहौल बना रहता था.

पुलिस की सख्त कार्रवाई

इस वर्ष अक्टूबर में नए जिला उपायुक्त राजा बांतिया के पदभार संभालने के बाद, सबसे पहले इस ड्रग्स के अड्डे पर कार्रवाई की. सदर बाजार थाने में फेरबदल करते हुए कुतुब रोड और आसपास के इलाकों में समर्पित पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया. बीट स्टाफ ने योजना बनाकर ड्रग्स माफियाओं पर दबिश शुरू की. लगातार दबिश और कार्रवाई से लगभग 150 छोटे-बड़े ड्रग्स कारोबारी खौफ में कॉलोनी छोड़कर भाग गए. अब यहां उनके घरों में ताले लटके हुए हैं. पुलिस की यह कार्रवाई न केवल प्रभावी रही, बल्कि इसने इलाके में एक नई उम्मीद भी जगाई.

नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट डीसीपी ने एनडीटीवी को बताया "पुलिस ने इस कॉलोनी पर भारी कार्यवाही करते हुए, NDPS (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act,) में 23 मुकदमे दर्ज कीजिए और 24 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा. इसके साथ 73 उन लोगों को गिरफ्तार किया जो इस कॉलोनी में ड्रग्स खरीदने आए थे".

कॉलोनीवासियों ने दी पुलिस को सराहना

कॉलोनी के प्रधान अबोध मंडल और उप-प्रधान ने कहा, “60 वर्षों बाद हमारी कॉलोनी नशे के सौदागरों से मुक्त हुई है. इसके लिए हम डीसीपी राजा बांठिया और इंस्पेक्टर संजय सिंह की टीम को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने बिना किसी डर के इस अभियान को अंजाम दिया. पहले यहां पुलिस भी आने से घबराती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.”

पुलिस की सतर्कता जारी

फिलहाल पुलिस ने इस कॉलोनी को ड्रग्स माफियाओं से लगभग मुक्त करवा लिया है लेकिन स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए पुलिस लगातार नजर बनाए हुए है. समर्पित बीट स्टाफ इस इलाके में चौकसी बरत रहा है ताकि दोबारा यह काली दुनिया अपना पैर न पसार सके. भारत सरकार का गृह मंत्रालय नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार और दुरुपयोग के खिलाफ (Zero Tolerance) की नीति अपनाते हुए देश को नशामुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार 2047 तक भारत को नशामुक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है.

गृह मंत्रालय ने नारकोटिक्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए कई कदम उठाए हैं, जिनमें नारको समन्वय केन्द्र (NCORD) की स्थापना और राज्यों के पुलिस विभागों में एंटी-नार्कोटिक्स टास्क फोर्स का गठन शामिल है. इन प्रयासों से ड्रग्स के अवैध व्यापार के खिलाफ लड़ाई को और गति मिली है और इसके सफल परिणाम सामने आए हैं.

प्रियदर्शिनी कॉलोनी की इस सफलता से यह संदेश साफ है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही रणनीति से किसी भी अपराध पर काबू पाया जा सकता है. पुलिस की यह मुहिम अन्य इलाकों के लिए प्रेरणा बन सकती है.

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