एक जुलाई 2017 की आधी रात से लागू हुए जीएसटी कानून को दो साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन इसके इम्प्लीमेंटेशन को लेकर विपक्ष हमेशा सवाल उठाता रहा है. अब इसको लेकर केंद्र सरकार के सामने एक नई तरह की चुनौती पेश आ रही है. दरअसल, राज्यों का कहना है कि जीएसटी में राज्यों को मिलने वाले कम्पेन्सेशन में देरी हो रही है जिससे उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
राज्यों को जीएसटी कम्पेन्सेशन देने में हो रही देरी का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. शुक्रवार को एनडीटीवी से खास बातचीत में पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा, केंद्र सरकार पंजाब को जीएसटी का पैसा देने में देरी कर रही है जिस वजह से प्रशासन चलाना मुश्किल होता जा रहा है.
मनप्रीत बादल ने एनडीटीवी से कहा, "केंद्र पर पंजाब का 2100 जीएसटी कंम्पन्सेशन एमाउंट बाकी है और 2000 करोड़ का एरियर बाकी है. यानी हमारा करीब 4100 करोड़ बकाया है. मुझे जेल मंत्री ने बताया है कि उनके पास सिर्फ दो दिन का राशन बचा है. क्या हम अपने बंदियों को रिहा कर दें? कई बार भारत सरकार के सामने मामला उठाया लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया."
पंजाब के अलावा कई गैर बीजेपी शासित राज्यों ने अगस्त और सितम्बर महीनों का पैसा देने में केंद्र सरकार की तरफ हो रही देरी का सवाल उठाया है. जानकारी के मुताबिक पंजाब के 2100 करोड़ बकाया हैं. साथ ही पश्चिम बंगाल के 1500 करोड़, केरल के 1600 करोड़, दिल्ली के 2355 करोड़ बकाया हैं.
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने एनडीटीवी से कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार का भी करीब 600 करोड़ रुपया बकाया है. आम आदमी पारटी के सांसद एनडी गुप्ता ने एनडीटीवी से कहा कि केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार को बकाया पैसा जल्दी जारी करना चाहिए क्योंकि देरी की वजह से दिल्ली सरकार के विकास के कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं.
एनडीटीवी ने वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से इस संकट के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
राज्यों को जीएसटी कम्पेन्सेशन देने में देरी का मसला ऐसे समय पर सामने आया है जब आर्थिक संकट के इस दौर में भारत सरकार वित्तीय संसाधन जुटाने की जद्दोजहद कर रही है और पिछले कुछ महीनों में जीएसटी कलेक्शन औसत से कम रहा है. अब देखना होगा कि भारत सरकार इस नई चुनौती से निपटने के लिए क्या रणनीति अख्तियार करती है.
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