
भारत में इस समय 'ऑपरेशन सिंदूर ' की सफलता का जश्न मनाया जा रहा है. भारत ने घोषणा कर दी है कि सीमा पार से होने वाली किसी भी आतंकी कार्रवाई को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा. इस बीच खबर आई है कि सरकार रक्षा बजट में बढ़ोतरी के बारे में सोच रही है. रक्षा बजट में अतिरिक्त आबंटन किया जा सकता है.पूरक बजट के जरिए 50 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त प्रावधान का प्रस्ताव है. रक्षा बजट में अतिरिक्त आबंटन सेनाओं की जरूरत, जरूरी खरीद और रिसर्च डेवलपमेंट के लिए हो सकता है.आइए देखते हैं कि भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के मुकाबले कितना है.
भारत का रक्षा बजट
सरकार ने इस साल फरवरी में 6.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट पेश किया था. आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के आने के बाद से पिछले दस साल में रक्षा बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. साल 2014-15 में रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपये का था. साल 2025-2026 के लिए इसे बढ़ाकर 6.81 लाख करोड़ रुपये का कर दिया गया है. इस साल का बजट कुल बजट का 13.45 फीसदी है.मोदी सरकार ने दूसरे विभागों की तुलना में रक्षा के मद में सबसे अधिक बजट दिया है.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल संसद में वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए बजट पेश किया था. इसमें रक्षा मंत्रालय के लिए छह लाख 81 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.53 फीसदी अधिक था. सशस्त्र बलों के पूंजीगत बजट के तहत 1.80 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योगों से खरीद के लिए 1.12 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया है. सैनिकों, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की पेंशन के लिए एक लाख 60 हजार 795 करोड़ रुपये का आवंटन किया था.यह कुल रक्षा बजट का 23.60 फीसदी है. इसके अलावा पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस ) के लिए आठ हजार 317 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
आर एंड डी पर खर्च
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास का बजट में 12.41 फीसदी बढ़ाते हुए 26,816.82 करोड़ रुपये कर दिया था. यह पिछले वित्त वर्ष में 23 हजार 855 करोड़ रुपये का था.भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के लिए 9,676.70 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था. यह पिछले बजट के आवंटन से 26.50 फीसदी अधिक है. इससे तटरक्षक बल के क्षमता विकास और आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा.दूसरे देशों से लगती सीमा पर बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 7,146.50 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था. यह 2024-25 के बजट अनुमान से 9.74 फीसदी अधिक है.

संयुक्त युद्धाभ्यास करते भारतीय नौसेना और सेना के जवान.
पाकिस्तान का रक्षा बजट
भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में दुश्मनी स्थायी भाव है. भारत- पाकिस्तान की सीमा पर तनाव आम बात है. इसे देखते हुए ही दोनों देश अपना रक्षा बजट लगातार बढा रहे हैं. ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग के आधार पर भारत दुनिया की चौथे नंबर की सेना है तो पाकिस्तान 9वें नंबर की सेना है. पाकिस्तान का वित्तवर्ष जुलाई में शुरू होता है. पाकिस्तान की गठबंधन सरकार जून के पहले हफ्ते में बजट पेश करेगी. भारत के साथ तनाव को देखते हुए पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 18 फीसदी या 2.5 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की है. पाकिस्तान की सरकार ने वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए 2122 अरब रुपये का रक्षा बजट दिया था. इससे पहले यह वित्त वर्ष 2023-24 में 1804 करोड़ रुपये का था. पाकिस्तान की सरकार सबसे अधिक पैसा कर्ज चुकाने पर करती है. उसके बाद नंबर आता है रक्षा का. पाकिस्तान ने पिछले साल 9700 अरब रुपये का बजट कर्जों को चुकाने के लिए दिया था.
चीन का रक्षा बजट
इस साल मार्च में चीन ने घोषणा की थी कि वह अपने रक्षा बजट में 7.2 फीसदी का इजाफा करेगा. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक विचार के लिए पेश किए गए बजट प्रस्ताव में रक्षा बजट 249 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया गया है.चीन लगातार 10 साल से अपने रक्षा बजट में एक अंक की बढ़ोतरी कर रहा है. पिछले दो साल से चीन अपने रक्षा बजट में 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी कर रहा है.अगर इसे सकल घरेलू उत्पाद के नजर से देखें तो चीन अपने जीडीपी का 1.5 फीसदी से कम हिस्सा रक्षा पर खर्च कर रहा है.रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों की सूची में चीन अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आता है.

अमेरिका इस समय दुनिया में रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाला देश है. उसके बाद चीन का नंबर आता है.
अमेरिका का रक्षा खर्च
रक्षा के क्षेत्र में खर्च करने के मामले में अमेरिका अभी भी पहले स्थान पर है. साल 2024 में अमेरिका का रक्षा बजट करीब 895 अरब डॉलर का था. इससे पहले 2023 में यह 820 अरब डॉलर का था. इस साल अप्रैल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी इस रक्षा बजट में एक ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की जाएगी. इसके बाद इसके 1000 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है. अमेरिका का रक्षा खर्च चीन, रूस, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन, सउदी अरब, यूक्रेन, फ्रांस और जापान के कुल रक्षा खर्च से भी अधिक है. ये नौ देश में मिलकर 984 अरब डॉलर का रक्षा बजट खर्च करते है, जबकि अमेरिका का अकेले का रक्षा बजट 997 अरब डॉलर का है.
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