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This Article is From Aug 03, 2023

गृहमंत्रालय से हुई बातचीत के बाद मणिपुर में सामूहिक दफनाने के फैसले को टाला गया

द इंडिजेनश ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के अनुसार एक नए घटनाक्रम के कारण बुधवार रात से सुबह चार बजे तक हमारी मैराथन बैठक हुई. इस बैठक में यह फैसला किया है.

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गृहमंत्रालय से हुई बातचीत के बाद मणिपुर में सामूहिक दफनाने के फैसले को टाला गया
मणिपुर में जातीय संघर्ष के बीच समुदाय ने सामूहिक दफन की योजना को टाला
नई दिल्ली:

मणिपुर में अभी भी कई इलाकों में हिंसा जारी है. इन सब के बीच गृहमंत्रालय से समुदाय के सदस्यों की बातचीत के बाद अब जातीय संघर्ष के पीड़ितों को दफनाने के फैसले को फिलहाल टाल दिया गया है. हालांकि, विभिन्न समुदाय की तरफ से की गई इस घोषणा के बाद से ही चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दिए गए थे. 

द इंडिजेनश ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के अनुसार एक नए घटनाक्रम के कारण बुधवार रात से सुबह चार बजे तक हमारी मैराथन बैठक हुई. एमएचए (गृह मंत्रालय) ने हमसे दफनाने में पांच दिन और देरी करने का अनुरोध किया और यदि हम उस अनुरोध का अनुपालन करते हैं तो हमें उसी स्थान पर दफनाने की अनुमति दी जाएगी और सरकार दफनाने के लिए जमीन को वैध कर देगी. यह अनुरोध मिजोरम के मुख्यमंत्री की ओर से भी आया था. 

उन्होंने आगे कहा कि देर रात विभिन्न हितधारकों के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वे हमें पांच मांगों पर लिखित आश्वासन दें. यदि गृह मंत्रालय कार्यक्रम शुरू होने से पहले हमें यह लिखित आश्वासन देने में विफल रहता है, तो हम अपनी योजना के अनुसार दफनाना जारी रखेंगे. यदि गृह मंत्रालय हमें हमारी मांग पर लिखित आश्वासन देता है, तो हम कार्यक्रम जारी रखेंगे लेकिन दफन करने के फैसले को छोड़ देंगे. 

आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वाउलज़ोंग ने एनडीटीवी को बताया कि हमने सरकार के सामने पांच मांगे मांगी हैं. हमारी पहली मांग है कि दफन स्थल को वैध माना जाए. दूसरा - कुकी-ज़ो समुदायों की सुरक्षा के लिए सभी मैतेई राज्य बलों को सभी पहाड़ी जिलों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि दफनाने में देरी होगी, तीसरा - इंफाल में पड़े कुकी-ज़ो समुदायों के शवों को चुराचांदपुर लाया जाना चाहिए; चौथी - हमारी राजनीतिक मांग - मणिपुर से पूर्ण अलगाव की गति तेज की जानी चाहिए; पांचवां - इंफाल के जेल में आदिवासी कैदियों को उनकी सुरक्षा के लिए अन्य राज्यों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी के पास एस बोलजांग में पीड़ितो कों सामूहिक तौर पर दफ़नाना तय किया गया था. आईटीएलएफ के सूत्रों के अनुसार, 35 शवों को, जिनमें से कुछ लगभग तीन महीने से मुर्दाघर में थे,अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाना था.

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