'डिबेट चुनाव में उम्मीदवार को जानने का बेहतरीन तरीका..': शशि थरूर के सुझाव पर बोले संदीप दीक्षित

संदीप दीक्षित ने कहा कि एलीटिज्म से क्या दिक्कत है. मेरे पास क्या खूबी है किसी का बेटा होने के अलावा, जो नेता अपने विचार व्यक्त न कर सके वो नेता नहीं है.

'डिबेट चुनाव में उम्मीदवार को जानने का बेहतरीन तरीका..': शशि थरूर के सुझाव पर बोले संदीप दीक्षित

संदीप दीक्षित ने कहा कि भारत जोड़ो के जरिए कांग्रेस नए तरीके से काम कर रही है.

नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर इन दिनों पार्टी में माहौल काफी गरम है. पार्टी प्रमुख पद के लिए खड़े मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर को नेता अपनी-अपनी पसंद के हिसाब से समर्थन कर रहे हैं. शशि थरूर ने हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे को अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की तरह डिबेट करने की सलाह दी है. कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने भी कहा कि मेरे हिसाब से हमारे कैंडिडेट्स को समझने का डिबेट ही एक बेहतरीन तरीका है.

संदीप दीक्षित ने कहा कि बात इसकी नहीं कि इनका क्या इतिहास है, बात ये है कि ये क्या करना चाहते हैं, ये डिबेट से ही निकलेगा. इनके अगल-बगल में कौन खड़ा है, ये देखकर अगर ये वोट करेंगे, तो वो एक सामंती भावना होती है. ये आगे क्या करना चाहते हैं, क्यों करना चाहता हैं, इस पर वोट करना चाहिए. ये लोकतांत्रिक भावना होगी.

उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता का क्या रोल होगा? क्या विचारधारा में बदलाव करेंगे? जो लोग कांग्रेस के साथ थे, कैसे उन लोगों को पकड़ेंगे? ये सब देखना होगा. नए लोगों को लाना होगा. जोड़-तोड़, नया चेहरा, जो भी हो, किस तरह से हमें करना होगा ये देखना है.

कांग्रेस के पूर्व सांसद ने कहा कि दो नए लोग आए हैं, इनका भूतकाल देख लिया, अब आगे देखना है, जूम कॉल कर लो या फिर बहुत तरीके हैं. मुझे कॉन्फिंडेंस में क्यों नहीं लिया जाए. वो क्या थे, इसे क्यों देखूं मैं. कांग्रेस का अध्यक्ष आगे चलकर बड़ी भूमिका निभाएगा. दोनों में फर्क है. दोनों अलग बैकग्राउंड के हैं.

संदीप दीक्षित ने कहा कि एलीटिज्म से क्या दिक्कत है. मेरे पास क्या खूबी है किसी का बेटा होने के अलावा, जो नेता अपने विचार व्यक्त न कर सके वो नेता नहीं है.

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उन्होंने कहा कि अच्छी चीज़ें संभव करनी चाहिए. भारत जोड़ो के जरिए नए तरीके से कांग्रेस काम कर रही है. आज की चुनौतियों को लेकर काम हो रहा है. लोग भारत जोड़ो शब्द से जुड़ना चाहते हैं. बीजेपी और आरएसएस समय के संकेतों को पढ़ना जानते हैं और वो इस पर रिएक्ट करते हैं. भारत जोड़ो यात्रा, बेरोज़गारी का मुद्दा कई चीज़ें हैं. अब बीजेपी अपनी जमीन बचा रही है. अभी इनको लग रहा है कि 2024 में पता नहीं क्या हो.