दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में 1992 से 2015 के बीच हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की है। सरकार ने आयोग से कहा है कि वह तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपे।
ऐसे जांच आयोग के गठन के लिए उप-राज्यपाल नजीब जंग से मंजूरी नहीं ली है
बहरहाल, सरकार का कदम अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव का एक और दौर पैदा कर सकता है, क्योंकि दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने ऐसे जांच आयोग के गठन के लिए उप-राज्यपाल नजीब जंग से मंजूरी नहीं ली है।
विधानसभा ने जांच आयोग गठित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था
कल दिल्ली विधानसभा ने जांच आयोग गठित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह आरोप भी लगाया था कि कथित डीडीसीए घोटाले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को ‘बचाने’ के लिए उन्होंने दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई की छापेमारी कराई थी।
1 जनवरी 1992 से लेकर 30 नवंबर 2015 के बीच की गई अनियमितताओं की जांच होगी
दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की ओर से 22 दिसंबर को जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, एक सदस्यीय जांच आयोग डीडीसीए और उसके पदाधिकारियों की ओर से 1 जनवरी 1992 से लेकर 30 नवंबर 2015 के बीच की गई कथित अनियमितताओं की पहचान करेगा और जवाबदेही तय करेगा।
जेटली 1999 से 2013 तक करीब 13 सालों तक डीडीसीए के प्रमुख थे
जेटली 1999 से 2013 तक करीब 13 सालों तक डीडीसीए के प्रमुख थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच आयोग इस बाबत सिफारिशें भी करेगा कि डीडीसीए को अंतरराष्ट्रीय मानकों से तालमेल बिठाने वाली संस्था कैसे बनाया जाए और इसे पारदर्शी कैसे बनाया जाए ताकि यह क्रिकेट के वैभवशाली खेल को बढ़ावा दे और प्रतिभा की पहचान कर उन्हें पोषित करे।
सुब्रमण्यम को इस जिम्मेदारी के लिए महज एक रुपये का भुगतान किया जाएगा
सुब्रमण्यम को इस जिम्मेदारी के लिए महज एक रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस अधिसूचना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उप-राज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उप-राज्यपाल की मंजूरी के बगैर जांच आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की है। एक सूत्र ने बताया, ‘‘सरकार ने उप-राज्यपाल कार्यालय को ऐसा आयोग गठित करने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा।’’
ऐसे जांच आयोग के गठन के लिए उप-राज्यपाल नजीब जंग से मंजूरी नहीं ली है
बहरहाल, सरकार का कदम अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव का एक और दौर पैदा कर सकता है, क्योंकि दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने ऐसे जांच आयोग के गठन के लिए उप-राज्यपाल नजीब जंग से मंजूरी नहीं ली है।
विधानसभा ने जांच आयोग गठित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था
कल दिल्ली विधानसभा ने जांच आयोग गठित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह आरोप भी लगाया था कि कथित डीडीसीए घोटाले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को ‘बचाने’ के लिए उन्होंने दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई की छापेमारी कराई थी।
1 जनवरी 1992 से लेकर 30 नवंबर 2015 के बीच की गई अनियमितताओं की जांच होगी
दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की ओर से 22 दिसंबर को जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक, एक सदस्यीय जांच आयोग डीडीसीए और उसके पदाधिकारियों की ओर से 1 जनवरी 1992 से लेकर 30 नवंबर 2015 के बीच की गई कथित अनियमितताओं की पहचान करेगा और जवाबदेही तय करेगा।
जेटली 1999 से 2013 तक करीब 13 सालों तक डीडीसीए के प्रमुख थे
जेटली 1999 से 2013 तक करीब 13 सालों तक डीडीसीए के प्रमुख थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच आयोग इस बाबत सिफारिशें भी करेगा कि डीडीसीए को अंतरराष्ट्रीय मानकों से तालमेल बिठाने वाली संस्था कैसे बनाया जाए और इसे पारदर्शी कैसे बनाया जाए ताकि यह क्रिकेट के वैभवशाली खेल को बढ़ावा दे और प्रतिभा की पहचान कर उन्हें पोषित करे।
सुब्रमण्यम को इस जिम्मेदारी के लिए महज एक रुपये का भुगतान किया जाएगा
सुब्रमण्यम को इस जिम्मेदारी के लिए महज एक रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस अधिसूचना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उप-राज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उप-राज्यपाल की मंजूरी के बगैर जांच आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की है। एक सूत्र ने बताया, ‘‘सरकार ने उप-राज्यपाल कार्यालय को ऐसा आयोग गठित करने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा।’’
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