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This Article is From May 15, 2017

अरुण जेटली की मानहानि मामला : दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई, राम जेठमलानी फिर करेंगे सवालों की बौछार

जेठमलानी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री को किसी तरह का आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है और यही वजह है कि वह कह रहे हैं कि इसे मापा नहीं जा सकता? उन्होंने पूछा कि जेटली को ऐसा क्यों लगता है कि उनको पहुंचे नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती? 

अरुण जेटली की मानहानि मामला : दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई, राम जेठमलानी फिर करेंगे सवालों की बौछार
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली.
नई दिल्ली: DDCA मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली की मानहानि केस दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. अरविंद केजरीवाल की ओर से राम जेठमलानी अरुण जेटली से सवाल जवाब करेंगे.6-7 मार्च को दो दिनों तक कानून जगत के दो दिग्गजों के बीच सवाल जवाब चले थे.पिछली सुनवाई में जेटली को  यह समझाने के लिए कहा गया कि वह किस तरह अपनी प्रतिष्ठा को पहुंची ठेस के लिए कह रहे हैं कि 'उसकी भरपाई नहीं हो सकती? और उसे आंका नहीं जा सकता.' और कहीं यह मामला 'खुद को महान समझने' का तो नहीं है. पूर्व बीजेपी नेता राम जेठलमलानी इस केस को केजरीवाल की तरफ से लड़ रहे थे और उन्होंने बिना किसी संकोच के जेटली से इस सवाल के जवाब की मांग कि मानहानि का दावा क्यों?

सुनवाई के दौरान जेटली काफी भावुक होते नज़र आए. उन्होंने कहा कि 'मेरे ख़िलाफ़ जो भी आरोप लगाए गए वो मीडिया मे जाकर लगाये गए,पार्लियामेंट मे भी इसी तरह के सवाल मेरे ऊपर खड़े किये गए, मेरी छवि को ख़राब करने की कोशिश की गई और ये लगातार 5 दिन तक किया गया. मेरी छवि को जिस तरह से ख़राब किया गया उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती और ये तब भी किया जाता रहा जबकि की मैं इन आरोपो का लगातार खंडन करता रहा.'
दिल्ली हाइकोर्ट में जेठमलानी ने जेटली से पूछा - इसके पीछे कोई परोक्ष तर्कसंगत कारण तो नज़र नहीं आता सिवाय इसके कि आप खुद अपने बारे में ऐसा सोचते हैं? इस पर जेटली ने जवाब दिया - मेरे सम्मान को पहुंचे नुकसान के लिए जो मैंने कीमत लगाई है वो उस बड़ी क्षति का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा है जो दरअसल मुझे पहुंची है. कोर्ट में सोमवार रामजेठमलानी की तरफ से अरुण जेटली के लिए 52 सवाल रखे गए. इनमें से 30 केस से जुड़े सवाल लगे, एक-तिहाई यानि 8,9 सवालो को कोर्ट की तरफ से अयोग्य करार दिया गया.

जेठमलानी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री को किसी तरह का आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है और यही वजह है कि वह कह रहे हैं कि इसे मापा नहीं जा सकता? उन्होंने पूछा कि जेटली को ऐसा क्यों लगता है कि उनको पहुंचे नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती? जेटली ने कहा 'मेरी प्रतिष्ठा को पहुंची ठेस की कुछ हद तक कीमत में आंका जा सकता है. सम्मान के खोने से बदनाम हुए व्यक्ति को दिमागी तनाव पहुंचता है और मेरे साथ भी यही हुआ है.' जेटली ने आगे कहा 'मेरे ओहदे, बैकग्राउंड और प्रतिष्ठा को देखें तो मेरे सम्मान को इतना बड़ा नुकसान पहुंचा है कि उसे मापा नहीं जा सकता.'
इस पर जेठमलानी ने पलटवार करते हुए कहा 'दूसरे शब्दों में यह आपका मानना है कि आप इतने महान हैं कि इसे आर्थिक तौर पर नहीं मापा जा सकता.'इस पर फिर जेटली ने जवाब दिया कि उन्होंने यह सब उन विचारों के आधार पर कहा है जो उनके दोस्त, शुभचिंतक और अन्य लोग, निजी और सार्वजनिक तौर पर इस विषय पर जाहिर कर चुके हैं.

7 मार्च 2017
जिरह की शुरुआत केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने की. उन्‍होंने अरुण जेटली से ये सवाल पूछे:
राम - आपको केजरीवाल से कोई दुश्मनी नहीं है ?
जेटली- मुझे कोई निजी दुश्मनी नहीं है लेकिन मुझे उनका नहीं पता. एक बार वो DDCA का प्रेजीडेंट का चुनाव लड़े और हार गए. यहां तक कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया

राम- आप अमृतसर चुनाव की बात कर रहे हैं? क्या ये सही नहीं कि पहली बार आप गुजरात के अलावा कहीं और से चुनाव लड़ना चाहते थे?
जेटली के वकीलों ने विरोध किया लेकिन जेटली : हां

राम : आप अमृतसर से चुनाव लड़ रहे थे तो भी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे ?
जेटली : हां

राम: क्या ये आपका पहला लोकसभा चुनाव था
जेटली : हां मैं पहली बार लड़ा था

राम : तो आप पहली बार लोकतंत्र में अपनी ग्रेट रेपूटेशन का टेस्ट कर रहे थे
जेटली : चुनावों में कई फैक्टर होते हैं सिर्फ प्रत्याशी का रेपूटेशन का सवाल नहीं होता. याद रहे कि केजरीवाल भी 2014 लोकसभा का चुनाव वाराणसी में 3.50 लाख वोटों से हारे थे.

राम : मेरी सलाह मानिए, जो पूछा जा रहा है, वही जवाब दीजिए
राम: क्या आप एक लाख से ज्यादा वोटों से हारे
जेटली : सही है

राम : आप लोकसभा चुनाव लड़े जबकि राज्यसभा में दो साल बचे हुए थे ?
जेटली : राज्यसभा के कार्यकाल में चार साल बचे थे

राम : इसकी क्या वजह है कि बिशन सिंह बेदी ने आपके खिलाफ PM को गंभीर शिकायत दी
जेटली : मैं ऐसोसिएशन का अध्यक्ष था और बेदी को चीफ कोच बनाया गया था. उनका कार्यकाल खत्म हो गया था इसके बावजूद मैं नरमी दिखाता रहा.

राम : क्या आपने बेदी की चिट्ठी देखी ?
जेटली : मुझे याद नहीं है. जब PM ने शपथ ली तो मैं BCCI और डीडीसीए दोनों से अलग हो गया.

राम : क्या पीएम ने आपको ये लैटर दिखाया था. क्या आप इसे पढ़कर बता सकते हैं कि इसमें क्या गलत लिखा है ?
जेटली : इस लैटर में मेरे बारे में लिखी बातों से मैं इनकार करता हूं. मैंने वित्त मंत्री या संसद सदस्य रहते वक्त कभी भी मंत्रालय या विभाग का सहारा नहीं लिया. मैंने कंपनी अफेयर्स का मंत्रालय संभाला लेकिन कभी भी डीडीसीए संबंधी कोई फाइल या कागजात मेरे सामने नहीं आए. ना ही मैंने इससे संबंधी कोई सवाल पूछा. इसलिए हितों के टकराव का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.

राम : मिस्टर जेटली मैंने ये नहीं पूछा कि आपने लैटर के बाद क्या किया. ये जानना चाहते हैं इसमें कौन सी बात गलत है ?
जेटली : मैंने साफ जवाब दिया है कि कोई हितों का टकराव नहीं था.

राम: आप जानते हैं कि लेटर में लिखी बातें उस वक्त की हैं जब आप एसोसिएशन का हिस्सा थे ?
जेटली : जहां तक मेरी जानकारी है, ये बातें झूठी हैं. मैं BCCI और DDCA से लिंक खत्म करना चाहता था. 2014 के किसी वक्त में एसोसिएशन से जुड़ा था लेकिन वो कोई पद नहीं था बल्कि एक तरह से बिना कार्यभार वाला काम था. मेरे आग्रह पर वो भी खत्म हो गया.

राम : क्या आपके पास एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य के अधिकार थे ?
जेटली : एकदम नहीं बता सकता लेकिन मैंने कभी एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया

राम : आपने मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया ?
जेटली : मैं याद कर रहा हूं कि एक बार मैं मीटिंग में गया था और इसके बाद मैंने इससे अलग करने का आग्रह किया था

राम : अब आपने ये लैटर पढ़ लिया. इसमें क्या ऐसा फैक्ट है जिससे गुस्सा होकर आपने मुझ पर कारवाई शुरु की?
जेटली : नहीं

राम : क्या पीएम को आपके इरादे पता थे ? क्या आपने उन्हें बताया कि लेटर में लगे आरोपों पर आप अपनी रेपूटेशन को बनाए रखेंगे ?
जेटली : ये लैटर जनवरी 2014 का है जबकि मैंने कानूनी कार्रवाई दिसंबर 2015 में  की. मैं 2014 में सूचना प्रसारण विभाग का प्रभारी बना. मई 2014 में मैं प्रभारी नहीं था. अब मैं फाइनेंस एंड कोरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय का प्रभारी हूं.

राम : आपको पीएम ने वित्त मंत्र बने रहने दिया क्योंकि आपने ये भरोसा दिया था कि इन आरोपों पर आप न्यायिक कारवाई करेंगे ?
जेटली : मैं इस बात को नकारता हूं

राम : क्या आप पत्रकार मधु किश्वर को जानते हैं ?
जेटली : मैं ऐसा नहीं समझता

राम : उन्होंने एक लैटर लिखा था कि जेटली और उनके परिवार ने डीडीसीए से रुपया कंपनियों में भेजा है ?
जेटली : मुझे नहीं पता ये उन्होंने कब कहा

राम : ये दिसंबर 2015 का एक ट्वीट है और केजरीवाल ने सिर्फ इसे रिट्वीट किया था
जेटली : केजरीवाल ने गंभीर और दुर्भावनापूर्ण  झूठ बोलने का काम किया कि मेरी पत्नी और बेटी के लिंक फर्जी कंपनियों से हैं. ये काफी निचले दर्जे का काम था.

राम : आपने शुरुआत करने वाली किश्वर को देखने की जरूरत नहीं की
जेटली : पब्लिक लाइफ में रहने वाले लोगों के लिए सोशल मीडिया पर गैरजिम्मेदाराना बयान आते रहते हैं. लेकिन जब कोई मुख्यमंत्री ऐसे बयानों को अपनाता है तो ये गंभीर अपराध हो जाता है क्योंकि फिर ये बयान सही माने जाते हैं. बार बार इन झूठे आरोपों को लगाने पर मैं कानूनी कार्रवाई को मजबूर हो गया. 

राम ने डीडीसीए और बेदी के आरोपों पर अखबार में छपी खबरों को पढ़ा
जेटली : इनसे मेरा कोई लेना देना नहीं ये 2015 का है जबकि मैने डीडीसीए अध्यक्ष पद 2013 में छोड़ दिया.

राम ने फिर सीताराम येचूरी का ट्वीट सुनाया जो केजरीवाल ने रिट्वीट किया. मधु किश्वर का ट्वीट पढ़ा जिसे भी केजरीवाल ने रिट्वीट किया.

जेटली : ये ट्विट काफी मानहानि वाला है और मुख्यमंत्री के रिट्विट करने से झूठी बातों को और भी बल मिलता है.

इस मामले में कोर्ट में 6 मार्च को जिरह शुरू हुई थी. उस दौरान वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की तरफ से अरुण जेटली के लिए 52 सवाल रखे गए. इनमें से 30 केस से जुड़े सवाल लगे, एक-तिहाई सवालों को कोर्ट की तरफ से अयोग्य करार दिया गया. कम से कम दो घंटे तक चली उस बहस में जेटली को यह समझाने के लिए कहा गया कि वह किस तरह अपनी प्रतिष्ठा को पहुंची ठेस के लिए कह रहे हैं कि 'उसकी भरपाई नहीं हो सकती? और उसे आंका नहीं जा सकता.' और कहीं यह मामला 'खुद को महान समझने' का तो नहीं है. पूर्व बीजेपी नेता राम जेठलमलानी इस केस को केजरीवाल की तरफ से लड़ रहे हैं और उन्होंने बिना किसी संकोच के जेटली से इस सवाल के जवाब की मांग की कि मानहानि का दावा क्यों? इस मामले पर अरुण जेटली का कहना था कि पूरे राजनीतिक जीवन में आलोचना को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन इस बार मुझे कोर्ट आकर मानहानि का केस करना पड़ा, क्योंकि इस बार मेरी निष्ठा और सच्चाई पर सवाल खड़े किए गए.

क्या है मामला
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि जब जेटली दिल्ली क्रिकेट बॉडी (DDCA) के प्रमुख थे तब वह और उनका परिवार संस्था में आर्थिक कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार थे. इस पर जेटली ने मानहानि का मुकदमा दायर किया जिसमें 10 करोड़ रुपये की मांग की गई है. पिछली सुनवाई में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेटली और उनके परिवार के बैंक विवरण और टैक्स रिटर्न्स की मांग की थी.
 

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