
- बिहार के चुनावी माहौल में राजनेता शेरो-शायरी के माध्यम से अपनी बात प्रभावशाली तरीके से व्यक्त कर रहे हैं.
- दाऊद इब्राहिम गिरोह के सदस्य रियाज सिद्धिकी ने जेल में रहते हुए कविताओं और शायरियों का संग्रह तैयार किया है.
- रियाज ने जेल की जिंदगी, नैनो कार के लॉन्च और रोमांस जैसे विभिन्न विषयों पर अपनी कविताएं लिखीं हैं.
इन दिनों बिहार के चुनावी समर में राजनेता शेर-ओ-शायरी के जरिये अपनी बात कह रहे हैं. 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के दौरान हमने देखा कि शिव सेना के संजय राऊत और एनसीपी के नवाब मलिक भी शायरी के जरिये रोज सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जुगलबंदी करते थे. आपको आश्चर्य होगा कि शायरी की जुबान यानी कि मिर्जा गालिब की जुबान सिर्फ राजनेता ही नहीं, बल्कि गोलियों और धमकियों की भाषा बोलने वाले मुंबई अंडरवर्लड के गैंगस्टर भी इस्तेमाल करते थे.
दाऊद इब्राहिम गिरोह से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने जेल की सलाखों के पीछे कैद रहकर एक कविता संग्रह तैयार किया है. डॉन के गुर्गे ने शायरियों और कविताओं के जरिये नैनो कार और जेल की जिंदगी से लेकर रोमांस और कॉमेडी तक पर अपनी कलम चलाई है. ये शख्स है दाऊद इब्राहिम गिरोह का कथित सदस्य रियाज सिद्धिकी. एक कविता इसने अपनी जेल की जिंदगी पर लिखी... -
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
जेल के किस्से क्या क्या बताएं, जेल तो भईया जेल
बडे़ बड़ों की यहां पर आके हो जाती है बुद्धि फेल,
एक बार जो हत्थे चढ़ा इसके फिर पता न कब होगी बेल
तकदीर का देखो खेल कि भईया आ गये हम तो जेल
सलाखों के पीछे की अपनी जिंदगी को तो रियाज ने इस कविता के जरिये तो बयां किया ही है, जेल के बाहर की जिंदगी पर भी उसने कविताएं लिखीं हैं, जैसे कि नैनो कार लॉन्च के वक्त लिखी ये कविता...
देख जमाना बदला देख, टाटा का निर्माण तो देख
इस महंगाई के मौसम में, एक लाख की नैनो देख
बरसों से ये ख्वाब था सबका, ख्वाब हुआ अब पूरा देख
ख्वाबों की ताबीर है नैनो, एक नया फिर ख्वाब तो देख
दाऊद के इस गुर्गे रियाज ने रोमांस पर भी अपनी कलम आजमाई है, जैसे “याद में उसकी” नाम की ये कविता...
हम कैद में भी नगमा गर हैं याद में उसकी
बहला रहे हैं दिल को फक्त याद में उसकी
हर सुबह नई आस, नई सोच, नया जोश
हर शाम बुझा दिल है फकत याद में उसकी
रियाज सिद्धिकी 1993 के मुंबई बमकांड में टाडा का आरोपी है. संजय दत्त को जो ए.के.56 राईफल अबू सलेम ने कथित तौर पर दी थी, उस वक्त रियाज सिद्धिकी भी साथ था. मई 2003 में दुबई से डीपोर्ट होने के बाद उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. रियाज आर्थर रोड जेल में कैद के दौरान अक्सर कविताएं लिखता था.
रियाज ने जेल से अपनी रिहाई के इंतजार में भी “कैदी परिंदे” नाम की एक कविता लिखी है...
कैदी परिंदे पिंजरे में ये गाते हैं
कब छूटेंगे मौसम बीतते जाते हैं
फिर से टूट कर रोने की रुत आई है
फिर से दिलों के घाव ये बढ़ते जाते हैं
वैसे डी कंपनी का शेरो-शायरी से लगाव पहले भी रहा है. दाऊद का मृत भाई नूरा फिल्मों के लिये गाने लिखता था. दाऊद का दाहिना हाथ छोटा शकील ने भी भले ही अपने शूटरों की गोलियों से कईयों को ढेर करवाया हो, लेकिन अपनी माशूकाओं को खुश करने के लिये वो गालिब की भाषा यानी शेरो-शायरी का इस्तेमाल करता है.
(नोट- ये कविताएं मुंबई बमकांड मुकदमे में रियाज की वकील फरहाना शाह ने लेखक को उपलब्ध करवाई हैं)
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