
बिहार के मुजफ्फरनगर में एक बच्ची से बलात्कार का मामला अभी ठंढा भी नहीं पड़ा था कि समस्तीपुर से ठीक वैसा ही एक मामला सामने आया है. बिहार में बच्चियों से बलात्कार के बाद बेरहमी से की गई उनकी हत्या के इन दो मामलों ने लोगों को चिंतित कर दिया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस तरह के मामले केवल बिहार में ही दर्ज किए जा रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि 2006 के बाद से इस तरह के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आइए देखते हैं कि बच्चियों से बलात्कार और अन्य अपराधों को लेकर क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े.
क्या कहते हैं लड़कियों के साथ अपराध के आंकड़े
बच्चों के लिए काम करने वाले क्राई के नाम से मशहूर गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चाइल्ड राइट एंड यू (सीआरवाई) ने 2022 में एक रिपोर्ट जारी की थी. इस एनजीओ ने इस रिपोर्ट को एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर 2016 में बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों का विश्लेषण किया था. एनसीआरबी ने अपनी पिछली रिपोर्ट 2022 में ही जारी की थी, उसके बाद से उसकी कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में बच्चियों से बलात्कार के 38911 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं 2021 में 36381, 2020 में 30705, 2019 में 31132, 2018 में 30917, 2017 में 27616 और 2016 में 19765 मामले दर्ज किए गए थे. इस तरह 2016 और 2022 के बीच इस तरह के मामलों में 96.8 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया.
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में बच्चियों से बलात्कार के बाद हत्या की बात करें तो इस मामले में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा. वहां बच्चियों से बलात्कार के बाद हत्या के 18 मामले दर्ज किए गए.दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश रहे, जहां 14-14 मामले दर्ज किए गए.तीसरे नंबर पर गुजरात रहा, जहां सात मामले दर्ज किए गए. छह और पांच मामलों के साथ हरियाणा और छत्तीसगढ़ चौथे और पांचवें नंबर पर रहे. साल 2022 में राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में बच्चियों से बलात्कार के 99 मामले दर्ज किए गए थे. इन मामलों में कुल 122 बच्चियां पीड़ित थीं.

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बच्चियों से बलात्कार में कौन सा राज्य है सबसे आगे
क्राई की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चियों से बलात्कार के सबसे अधिक मामले वाले पांच राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे आगे था. वहां 2016 में बच्चियों से बलात्कार के 2467 मामले दर्ज किए गए थे. इसके बाद महाराष्ट्र में 2292, उत्तर प्रदेश में 2115, ओडिशा में 1258 और तमिलनाडु में 1169 मामले दर्ज किए गए थे.
क्राई की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 में बच्चियों से साथ अपराध के 18 हजार 967 मामले दर्ज किए गए थे. साल 2016 में इनकी संख्या बढ़कर एक लाख छह हजार 958 हो गई थी. यानी के बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों में एक दशक में 500 गुना से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई. रिपोर्ट के मुताबिक इन अपराधों में से करीब आधे तो देश के केवल पांच राज्यों में ही दर्ज किए गए.
फास्ट ट्रैक अदालतें कितनी हैं
केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में राज्य सभा में बताया था कि 2020 में देश में 18 साल से कम की लड़कियों के साथ बलात्कार की 2640 मामले दर्ज किए गए थे. इस मामले में 1279 मामलों के साथ राजस्थान सबसे आगे थे. दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश का स्थान था, जहां 577 मामले दर्ज किए गए थे. 204 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर था. वहीं 196 मामलों के साथ हिमाचल प्रदेश चौथे और 116 मामलों के साथ झारखंड पाचवें नंबर पर था.
सरकार ने बताया था कि निर्भया फंड के तहत देशभर में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट में दर्ज होने वाले मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक अदालत और विशेष पॉक्सो अदालतों का गठन किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने इस योजना को 31 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया है. देश भर में इस तरह की कुल 790 अदालतों की स्थापना होनी है. केंद्र सरकार ने बताया था कि 31 अक्तूबर 2024 तक 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी 750 अदालतों का गठन कर लिया गया था. इनमें 408 विशेष पॉक्सों अदालतें शामिल थीं. इन अदालतों में दो लाख 87 हजार से अधिक मामलों का निपटारा किया गया था.
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