नई दिल्ली:
यूरोप के तमाम देश जहां दूतावासों में अमेरिका द्वारा जासूसी कराए जाने की खबर की बात से नाराज हैं, वहीं भारत के विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि यह जासूसी का मामला नहीं है।
खुर्शीद ने कहा, यह वास्तविक संदेशों की जांच और पहुंच का मामला नहीं है। यह सिर्फ कंप्यूटर स्टडी है और की गई कॉल्स का कंप्यूटर विश्लेषण है।
जर्मनी और यूके के तमाम अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार, एडवर्ड स्नोडेन ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा संस्था की जो महत्वपूर्ण जानकारियों जारी की थी, जिसके अनुसार, अमेरिका पर भारत सहित 30 से अधिक दूतावासों में जासूसी करने के आरोप लगे थे।
इस घटना के बाद अमेरिका के यूरोप में साझीदार देश काफी नाराज हैं। जर्मनी ने सोमवार को कहा कि अगर मीडिया में आई जासूसी की खबरें सत्यापित होती हैं तब यह एक प्रकार से शीत-युद्ध जैसा रवैया होगा, जो कि अस्वीकार्य है। फ्रांस ने भी कहा कि हम साझीदारों और दोस्तों के बीच इस प्रकार के रवैये को स्वीकार नहीं करते हैं। उसका कहना है कि इस प्रकार के खुलासे देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों को प्रभावित कर सकते हैं। बुधवार को यूरोपियन संसद इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है।
बता दें कि सोमवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि यूरोपीय देश पूरी दुनिया में अमेरिका के सबसे करीबी मित्र हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच करा रहे हैं और जल्द ही अपने सहयोगी देशों के प्रश्नों का पूरा उत्तर उन्हें मुहैया कराएंगे।
पिछले महीने एडवर्ड स्नोडेन द्वारा अमेरिका के चौकसी कार्यक्रम का खुलासा किया गया था। इस खुलासे के बाद से अमेरिका में निजी अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच एक अंतर पर बहस आरंभ हो गई। खुलासे में यह भी कहा गया था कि सरकार आम लोगों बातों की भी जासूसी करती है।
खुर्शीद ने कहा, यह वास्तविक संदेशों की जांच और पहुंच का मामला नहीं है। यह सिर्फ कंप्यूटर स्टडी है और की गई कॉल्स का कंप्यूटर विश्लेषण है।
जर्मनी और यूके के तमाम अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार, एडवर्ड स्नोडेन ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा संस्था की जो महत्वपूर्ण जानकारियों जारी की थी, जिसके अनुसार, अमेरिका पर भारत सहित 30 से अधिक दूतावासों में जासूसी करने के आरोप लगे थे।
इस घटना के बाद अमेरिका के यूरोप में साझीदार देश काफी नाराज हैं। जर्मनी ने सोमवार को कहा कि अगर मीडिया में आई जासूसी की खबरें सत्यापित होती हैं तब यह एक प्रकार से शीत-युद्ध जैसा रवैया होगा, जो कि अस्वीकार्य है। फ्रांस ने भी कहा कि हम साझीदारों और दोस्तों के बीच इस प्रकार के रवैये को स्वीकार नहीं करते हैं। उसका कहना है कि इस प्रकार के खुलासे देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों को प्रभावित कर सकते हैं। बुधवार को यूरोपियन संसद इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है।
बता दें कि सोमवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि यूरोपीय देश पूरी दुनिया में अमेरिका के सबसे करीबी मित्र हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच करा रहे हैं और जल्द ही अपने सहयोगी देशों के प्रश्नों का पूरा उत्तर उन्हें मुहैया कराएंगे।
पिछले महीने एडवर्ड स्नोडेन द्वारा अमेरिका के चौकसी कार्यक्रम का खुलासा किया गया था। इस खुलासे के बाद से अमेरिका में निजी अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच एक अंतर पर बहस आरंभ हो गई। खुलासे में यह भी कहा गया था कि सरकार आम लोगों बातों की भी जासूसी करती है।
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