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This Article is From Dec 19, 2016

नोटबंदी : सैलानियों की कमी से जूझ रहा है पर्यटन उद्योग, नकारात्मक छवि बन रही है भारत की

नोटबंदी : सैलानियों की कमी से जूझ रहा है पर्यटन उद्योग, नकारात्मक छवि बन रही है भारत की
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
देश-विदेश घूमने के ढेर सारे प्रस्ताव हैं, लेकिन मुसाफ़िर नहीं दिख रहे
पर्यटन उद्योग के दफ़्तर अब पहले के मुक़ाबले फीके नज़र आ रहे हैं
विदेशी पर्यटकों को भारत में उठानी पड़ रही हैं ढेर सारी परेशानी
नई दिल्ली: नोटबंदी का असर आम लोगों पर ही नहीं, कारोबार पर भी पड़ रहा है. सरकार चाहे जितने दावे करे, लेकिन हालात मंदी की तरफ़ जाते दिख रहे हैं. नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार पर्यटन उद्योग पर पड़ रही है. आलम यह है कि सैलानियों के इंतजार में होटल खाली पड़े हैं और टूर ऑपरेटर्स नए ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं.

1600 टूर ऑपरेटर्स की संस्था 'इंडियन एसोसिएशन आफ टूर आपरेटर्स' के अध्यक्ष प्रोनब सरकार कहते हैं कि बीते छह हफ्ते में जनवरी-फरवरी के लिए विदेशी सैलानियों की बुकिंग 30 फीसदी तक घट चुकी है. लक्ज़री सेगमेन्ट में 10-15 फीसदी बुकिंग्स रद्द की जा चुकी हैं, जबकि पिछले साल के मुकाबले जनवरी-फरवरी 2017 के लिए बुकिंग्स 30 फीसदी तक घट गयी हैं.

लग्ज़री सेगमेंट यानी विदेश से आने वाले ऐसे सैलानियों का सेगमेंट जो खूब खर्च करता है. प्रोनब सरकार कहते हैं कि करीब 40 फीसदी विदेशी सैलानी हैंकिंग के डर से कार्ड का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं. नोटबंदी की वजह से विदेशी राजस्व (फॉरन एक्सचेंज) पर भी असर पड़ रहा है.

टूर आपरेटर्स की सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि पिछले 6 हफ्ते में तो हज़ारों-लाखों टूरिस्ट वापस गए हैं. उन्होंने भारत को टूरिस्ट डिस्टिनेशन के तौर पर अपने नकारात्कम विचार दिए हैं और इसका बुरा असर पर्यटन पर अगले 5-6 महीने तक बना रहेगा. नवंबर-मार्च के बीच सबसे ज़्यादा विदेशी सैलानी भारत आते हैं.

मोनिंग गारसिया और एबोडी एवाइटल दो हफ्ते के लिए अमेरिका से भारत आई हैं. वे कहती हैं कि सिर्फ 75 डॉलर भारतीय रुपये में बदलने की सीमा कम है. सरकार उसे बढ़ाए क्योंकि भारत में कैश में काफी खर्च करना पड़ता है.

एलेक्ज़ेन्डर इतावली नागरिक हैं वे मां-बाप के साथ भारत घूमने आए हैं. उन्होंने बताया कि नकद रुपया नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. वह बताते हैं कि एटीएम पर कैश मिलता नहीं है और बैंकों में लंबी लाइन लगी होती है. वह बताते हैं कि पैसों की कमी के कारण वे खुद को क़ैद में पा रहे हैं.

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