केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने किसानों को पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों द्वारा दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद का प्रस्ताव दिया है. NCCF (राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ) और नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ अनुबंध करेंगी, जो 'अरहर दाल', 'उड़द दाल', 'मसूर दाल' या मक्का उगाते हैं. किसान संघों के "दिल्ली चलो" मार्च को लेकर जारी गतिरोध के बीच प्रदर्शनकारी किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत के दौरान भारत सरकार ने फसल विविधीकरण को लेकर भी प्रस्ताव दिया. इसे लेकर एनडीटीवी के साथ एक्लूसिव इंटरव्यू में भारत के प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों में से एक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि फसल विविधीकरण पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में गिरते जलस्तर जैसी चुनौतियों से जूझ रहे धान के लाखों किसानों के लिए एक कारगर विकल्प होगा.
केंद्र ने प्रस्ताव दिया कि NAFED और NCCF जैसी सहकारी समितियां धान के स्थान पर दलहन, मक्का और कपास उगाकर फसल विविधीकरण का विकल्प चुनने वाले किसानों के साथ पांच साल तक का अनुबंध कर सकती हैं, जो MSP रेट पर उनकी उपज खरीदने की गारंटी देगी.
देश के बड़े कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सहकारी समितियों - NAFED और NCCF द्वारा दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद का प्रस्ताव और फसलों का विविधीकरण पंजाब में ग्राउंड वाटर के घटते स्तर और कई दूसरी चुनौतियों से जूझे रहे धान के किसानों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है.
घटते जलस्तर और बढ़ती लागत के बीच क्या है विकल्प?
डॉ. अशोक कुमार सिंह ने एनडीटीवी से कहा, "एक किलो चावल उगाने के लिए 3000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. पंजाब में जल स्तर 1970 के दशक में 10 मीटर से घटकर 2023 में 20 से 25 मीटर तक नीचे चला गया है. एक एकड़ में धान की रोपाई में श्रम की लागत 3 से 4 हजार रुपये तक है. इसलिए फसल विविधीकरण धान के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण विकल्प है."
डॉ. सिंह के मुताबिक, धान उगाने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक फसल उच्च गुणवत्ता वाली मक्का हो सकती है, जिसे प्रति एकड़ 7 से 8 टन तक उगाया जा सकता है. आईसीएआर-आईएआरआई के निदेशक का कहना है कि धान की तर्ज पर मक्का उगाने से देश में बायो-इथेनॉल के प्रोडक्शन को बढ़ाने साथ-साथ 2025 तक 20 फीसदी तक एथेनॉल ब्लैंड के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी.
धान उगाने वालों के लिए दलहन भी अच्छा विकल्प : सिंह
उन्होंने तर्क दिया कि धान उगाने वाले किसानों के लिए भी दलहन की फसलें भी एक अच्छा विकल्प है. अगर उन्हें NAFED और NCCF जैसी सहकारी समितियों द्वारा सही कीमतों पर खरीदा जाए, इससे दालों के आयात पर भारत की निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी और यह किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बनेगा. कपास की खेती भी किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प होगा.
उन्होंने एकहा, "देश में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना जरूरी होगा. इस सन्दर्भ में भंडारण, विपणन और वितरण को मजबूत करने के लिए नए निवेश के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप एक अच्छा विकल्प हो सकता है."
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