दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट ने ठगों के एक गैंग का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने नोएडा से गैंग से जुड़ीं 2 महिलाओं समेत 12 अपराधियों को गिरफ्तार किया है. अपराधियों ने साइबर अपराध को रिपोर्ट करने के लिए सरकारी वेबसाइट्स से मिलती-जुलती कुछ फर्जी वेबसाइट्स बना ली थी. पहले से साइबर अपराध के शिकार लोग जब इन वेबसाइट्स पर शिकायत या एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश करते थे, तो उनसे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे ऐंठ लिए जाते थे. पुलिस के मुताबिक गैंग ने इस तरीके से 3000 पीड़ितों को ठगा है.
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शिकायतकर्ता के कंप्लेन से पुलिस ने सुलझाई गुत्थी
साइबर क्राइम यूनिट के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक ठगी से संबंधित एक शिकायत मिली थी. इसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि जब वह धोखाधड़ी की एक घटना के बारे में शिकायत करने की कोशिश कर रहा था, तो वह एक वेबसाइट www.jansurkashakendara.in पर आया. यह वेबसाइट अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल होने का दावा कर रही थी. जब उसने वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए मोबाइल फोन नंबर पर कॉल किया तो बताया गया कि वे सरकार के साथ काम करने वाले अधिकृत लोग हैं और वे धोखाधड़ी के संबंध में उसकी एफआईआर दर्ज करेंगे. आरोपितों ने शिकायत दर्ज कराने व पूछताछ करने के बहाने उससे 2850 रुपये वसूल लिये. एक बार भुगतान होने के बाद उन्होंने शिकायतकर्ता के मोबाइल नंबर को ब्लॉक कर दिया.
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500 रुपये से लेकर 30000 रुपये तक की रकम वसूला करते थे
बताया जा रहा है कि पीड़ित वेबसाइट पर दिए गए फोन नंबरों पर कॉल करते थे तो अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताते थे. वे पीड़ितों से 500 रुपये से लेकर 30000 रुपये तक की रकम वसूला करते थे. इसके अलावा अपराधियों ने जन शिकायत केंद्र, ग्राहक सुरक्षा केंद्र, न्याय भारत और अन्य नामों के साथ कुछ और वेबसाइटें बनाई हैं. इसके अलावा इसी तरह की 7 और शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज की गईं हैं. एक केस कर्नाटक में भी दर्ज हुआ है. जांच के दौरान पता चला कि पिछले एक साल में जालसाजों को 1,74,00,000 रुपये मिले हैं. इस मामले में तकनीकी जांच के बाद दो महिलाओं सहित कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जांच के दौरान 7 लैपटॉप और 25 मोबाइल, एक मारुति कार (अर्टिगा) और 52500 रुपये नकद बरामद किए गए हैं. गिरफ्तार लोगों में पी. सिंह और एस पांडे नोएडा के रहने वाले हैं और यही मास्टरमाइंड हैं.
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