महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पहले आना चाहिए और उसके बाद निर्वाचन आयोग को इस पर निर्णय लेना चाहिए कि मूल पार्टी किसकी है.
उद्धव से संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया गया कि निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के नाम और उसके चिह्न ‘धनुष-बाण' पर रोक क्यों लगा दी, जबकि प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे गुट ने अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘‘अयोग्यता के विषय पर फैसला पहले आना चाहिए और उसके बाद निर्वाचन आयोग को फैसला करना चाहिए (कि कौन सा खेमा मूल शिवसेना है.)''
उद्धव ने कहा कि शीर्ष अदालत बागी विधायकों की अयोग्यता संबंधी मामले पर 14 फरवरी से दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू करेगी.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कुछ विधायकों के बागी हो जाने के बाद शिवसेना पिछले साल दो खेमों में बंट गई थी. इसके बाद शिंदे के गुट और उद्धव के खेमे ने पार्टी के नाम और उसके चिह्न पर अपना दावा पेश करने की कोशिश की थी.
उद्धव ने कहा कि विधायकों ने जून में बगावत की, जिसके बाद शिवसेना ने उन्हें अयोग्य घोषित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जबकि बागियों ने जुलाई में पार्टी पर अपना दावा किया. उद्धव और शिंदे खेमों ने 30 जनवरी को निर्वाचन आयोग के समक्ष पार्टी संगठन और उसके चुनाव चिह्न पर अपना दावा जताते हुए अपनी अंतिम दलीलें पेश की थीं.
उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा खुद को ‘‘प्रमुख नेता'' बताए जाने पर भी कटाक्ष किया. उद्धव ने कहा कि ‘‘शिवसेना प्रमुख'' शब्द का उपयोग उनके पिता और पार्टी के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा किया गया था. उद्धव ने कहा कि इसलिए अपने पिता के निधन के बाद उन्होंने पार्टी प्रमुख की भूमिका संभाली. उन्होंने कहा कि शिवसेना के संविधान में ‘‘प्रमुख नेता'' का कोई पद नहीं है.
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अभी तक पार्टी में चुनाव कराने के लिए अपनी मंजूरी नहीं दी है. उल्लेखनीय है कि उद्धव का कार्यकाल 23 जनवरी को समाप्त हो गया है.
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