मुंबई की एक विशेष अदालत ने कथित मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार किये गये टॉप्स ग्रुप के पूर्व प्रबंध निदेशक एम शशिधरन एवं उसके प्रवर्तक (प्रमोटर) अमित चंडोले की राहत संबंधी अर्जियां बुधवार को खारिज कर दीं. एक निजी सुरक्षा कंपनी के प्रवर्तक रहे चंडोले, शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के कथित सहयोगी हैं. चंडोले और शशिधरन सुप्रीम कोर्ट के हाल के इस आदेश के आलोक में जेल से रिहा करने की मांग की कि यदि पहले से किसी अन्य एजेंसी द्वारा दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं है तो धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला जारी नहीं रह सकता है. PMLA के प्रावधानों के तहत किसी व्यक्ति के विरुद्ध ईडी की कार्रवाई शुरू करने के लिए ‘अनुसूचित अपराध' का होना जरूरी है. चंडोले को प्रवर्तन निदेशालय ने नवंबर, 2020 में गिरफ्तार किया था. उससे कुछ महीने पहले शशिधरन को गिरफ्तार किया गया था.
ईडी ने मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामले के आधार पर अपनी शिकायत दर्ज की थी. लेकिन इसी शाखा ने मजिस्ट्रेट की अदालत में यह कहते हुए जनवरी, 2022 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की कि अपराध का कोई सबूत नहीं है. मजिस्ट्रेट अदालत ने पिछले सप्ताह यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली.तब आरोपी इस आधार पर रिहा करने की मांग करते हुए विशेष पीएमएलए न्यायाधीश एम जी देशपांडे की अदालत में चले गये कि ईडी मामले में कार्यवाही जारी नहीं रह सकती है.
ईडी ने अपने जवाब में कहा कि आर्थिक अपराध शाखा की क्लोजर रिपोर्ट तबतक अंतिम नहीं कही जा सकती है जब तक कि उसके विरूद्ध अपील दायर करने का समय बीत नहीं जाता.विशेष पीएमएलए अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद चंडोले और शशिधरन की अर्जियां खारिज कर दीं.
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