लखनऊ की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने जुलाई 2016 में हजरतगंज इलाके में गलत तरीके से सड़क बाधित करने के मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और चार अन्य को दोषी करार दिया है. अदालत ने सभी पर ढाई-ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अगर वे यह रकम अदा नहीं करते हैं तो उन्हें 15 दिन की कैद भुगतनी पड़ेगी. नसीमुद्दीन सिद्दीकी इस वक्त कांग्रेस में हैं और हाल में नियुक्त हुए उत्तर प्रदेश के छह प्रांतीय अध्यक्षों में शामिल हैं.
एमपी-एमएलए अदालत के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए. के. श्रीवास्तव ने सिद्दीकी के अलावा अन्य अभियुक्तों राम अचल राजभर, नौशाद अली, अतर सिंह और मेवा लाल गौतम को भी दोषी मानते हुए उन पर भी जुर्माना लगाया है.
अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर इन सभी को हिरासत में ले लिया गया. भोजनावकाश के बाद अदालत ने सजा के निर्धारण पर बहस के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष को सुना. इस दौरान दोषी करार दिए गए सभी नेताओं ने अदालत से गुजारिश की कि वे वरिष्ठ नागरिक हैं और यह मामला राजनीति से जुड़ा है, लिहाजा उन्हें हल्की सजा दी जाए.
अदालत ने परिस्थितियों को देखते हुए इन सभी पर ढाई-ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया. दोषियों की अर्जी पर अदालत ने उन्हें यह रकम जमा करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है.
गौरतलब है कि तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह द्वारा बसपा अध्यक्ष मायावती के प्रति कथित अपमानजनक टिप्पणी किए जाने के विरोध में बड़ी संख्या में बसपा नेता और कार्यकर्ताओं ने जुलाई 2016 में हजरतगंज इलाके में सड़क बाधित कर प्रदर्शन किया था. इस दौरान बसपा नेताओं पर दयाशंकर सिंह की बेटी और मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां करने के आरोप भी लगे थे.
इस मामले में पुलिस उपनिरीक्षक शिव साकेत सोनकर ने 21 जुलाई 2016 को हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था.
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