देश में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दूसरे आर्थिक प्रोत्साहन को आकार लेने में कुछ समय लगेगा. कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने इसके संकेत दिए हैं. इसके पीछे वे कारण बताते हैं कि महामारी के दौर में सरकार अनिश्चित है कि अगले कुछ महीनों में कैसे चीजें खत्म हो जाएंगी. उद्योग के सभी वर्गों की मांगें बहुत बड़ी हैं, चाहे वे छोटे उद्योग हों या मध्यम स्तर के हों, और वर्तमान में सरकार के पास निधि नहीं है.
कैबिनेट ने दिवाला और दिवालियापन पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. यह किसी भी कंपनी को अगले छह महीने या तय अवधि के लिए दिवालिया घोषित होने की अनुमति नहीं देगा.
इसके तहत इस वित्तीय वर्ष में महंगाई भत्ते और अन्य सभी बढ़ोतरी में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला किया गया है. इससे अगले साल एरियर देने पर विचार किया जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके कार्यालय से निरंतर संपर्क में रहे हैं. उनके बीच आर्थिक प्रोत्साहन के विभिन्न पहलुओं और इसके तौर-तरीकों पर चर्चा हुई है.
राज्यों ने तो राजकोषीय घाटे और बजट प्रबंधन एक्ट FRBM में राजकोषीय घाटे को 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत के बीच रखने के दायित्वों को बढ़ाने के लिए संशोधन की मांग की है.
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