प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की ओर से जारी 20.97 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में और सुधार की गुंजाइश है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को मांग को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एक आभासी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, 'आर्थिक पैकेज अपने आप में हर तरह से पूर्ण नहीं है. पैकेज में खामियां दूर कर इसे बेहतर बनाने की गुंजाइश है.' प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की अंशकालिक सदस्य गोयल ने कहा कि ज्यादातर राहत पैकेज वित्तीय क्षेत्र से जुड़े हैं और 'अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए मांग और आपूर्ति का तालमेल बहुत जरूरी है.'
सरकार ने पिछले महीने 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था, जिसमें आरबीआई के 8.01 लाख करोड़ रुपये के नकदी उपाय शामिल हैं. भारत की वृद्धि को पुनर्जीवित करने पर गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी अर्थव्यवस्था के लिए एक अस्थायी झटका है. आईजीआईडीआर में अर्थशास्त्र की प्राध्यापक गोयल ने कहा कि जब मानव पूंजी बरकरार रहती है तो वास्तविक झटके के बाद तेजी से सुधार देखने को मिलता है. भारतीय अर्थव्यवस्था 2019-20 में 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले 11 वर्षों में इसकी सबसे धीमी रफ्तार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के 500 अरब डॉलर के पार पहुंचने पर गोयल ने कहा, 'हमारे विदेशी मुद्रा भंडार उधार के भंडार हैं. विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका निवेश आकर्षित करना है.'
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