विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 28, 2023

COP28 : विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए कोष, जीवाश्म ईंधन और जलवायु वित्त होंगे प्रमुख मुद्दे

विकासशील देशों में ऊर्जा परिवर्तन, प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदम और अनुकूलन के लिए वित्त जैसे विषय दुबई जलवायु वार्ता में केंद्र में रहेंगे.

Read Time: 4 mins
COP28 : विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए कोष, जीवाश्म ईंधन और जलवायु वित्त होंगे प्रमुख मुद्दे
नई दिल्ली:

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में होने वाली वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के 28वें दौर में जलवायु प्रभावों, जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए वित्तीय सहायता को लेकर अमीर देशों से विकासशील देशों को मुआवजे आदि विषयों पर गहन बातचीत होने की उम्मीद है.

मीथेन उत्सर्जन और तापमान बढ़ाने वाली गैस के उत्सर्जन को कम करने का मुद्दा भी उठने की संभावना है. जलवायु संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत हर पल बढ़ती जा रही है. सितंबर अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया, जिसमें वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) के स्तर से 1.8 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया.

दुनिया भर में भीषण गर्मी, सूखा, जंगल की आग, बाढ़ और तूफान आदि जीवन और रोजी-रोटी को प्रभावित कर रहे हैं. वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन 2021-2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। लगभग 90 प्रतिशत सीओ2 उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन से होता है.

दुबई एक्सपो सिटी में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक आयोजित सीओपी28 बैठक में जिन मुद्दों के हावी होने की उम्मीद है, उनका यहां उल्लेख किया गया है.

हानि और क्षति
यह सीओपी निर्धारित करेगा कि जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद जलवायु संकट का खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को सीधे सहयोग कैसे दिया जाए. पिछले साल मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित सीओपी27 में, अमीर देशों ने हानि और क्षति कोष स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि, धन आवंटन, लाभार्थियों और लागू किए जाने के संबंध पर निर्णय एक समिति को भेजे गए थे.

जलवायु वित्त
विकासशील देशों में ऊर्जा परिवर्तन, प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदम और अनुकूलन के लिए वित्त जैसे विषय दुबई जलवायु वार्ता में केंद्र में रहेंगे. जलवायु वित्त पर बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली के विशेष दूत अविनाश पर्सुअद ने एक वाक्य में इसे संक्षेप में कहा ‘‘वित्त के बिना महत्वाकांक्षा खोखली महत्वाकांक्षा है.''

जीवाश्म ईंधन
जीवाश्म ईंधन-कोयला, तेल और गैस-का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ रहा है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. यह वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 75 प्रतिशत से अधिक हिस्से और लगभग 90 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है.

जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों और कंपनियों को आपत्ति है, तथा उनका तर्क है कि जब तक वे परिष्कृत प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं, तब तक उन्हें तेल और गैस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपाय महंगे और अप्रमाणित हैं.

नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का तिगुना होना
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आइईए) का कहना है कि जीवाश्म ईंधन की मांग को कम करने और सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए दुनिया को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता की दर को 2030 तक दोगुना करना होगा.

अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू) और यूएई के नेतृत्व में 60 से अधिक देश अब नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने की प्रतिबद्धता का समर्थन कर रहे हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
बाबा बोले- मेरे चरणों की धूल ले लो... इसी चक्कर में भागी थी जनता, हाथरस हादसे मां को खोने वाली महिला
COP28 : विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए कोष, जीवाश्म ईंधन और जलवायु वित्त होंगे प्रमुख मुद्दे
उम्र बस 16, फ्लैट में चोरी करते देखा तो बच्ची को जला डाला, गुरुग्राम की सोसाइटी ये घटना डरा रही!
Next Article
उम्र बस 16, फ्लैट में चोरी करते देखा तो बच्ची को जला डाला, गुरुग्राम की सोसाइटी ये घटना डरा रही!
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com