राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)
जयपुर:
बीजेपी शासित राजस्थान में जैन समुदाय के पर्व को लेकर मीट बैन पर उठा विवाद अभी थमा भी नहीं है कि राज्य सरकार के नए आदेश से एक और विवाद पैदा हो गया है। राजस्थान सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों को आदेश दिया है कि 25 सितंबर को बीजेपी के आदर्श और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैचारिक नेता रहे दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर रक्तदान शिविरों के आयोजन की तैयारी की जाए।
25 सितंबर को इस बार मुस्लिम त्योहार बकरीद भी है और अमूमन इस दिन छुट्टी होती है, लेकिन इस बार छुट्टी नहीं रहेगी। वसुंधरा राजे सरकार ने कॉलेजों को निर्देश दिया है कि इस दिन छुट्टी घोषित नहीं की जाए। राज्य सरकार के इस फैसले से मुस्लिम समूहों में नाराजगी है और उन्होंने कहा है कि छुट्टी रद्द करने के फैसले के खिलाफ वे अदालत जाएंगे।
फोरम फॉर डेमोक्रेसी एंड कॉम्यूनल हार्मनी के प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, यह असंवैधानिक और फासीवादी आदेश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम साफ तौर पर 'भगवाकरण' की कोशिश है। सरकार ने विरोध के सुर उठने पर सफाई देते हुए कहा है कि यदि मुस्लिम शिक्षक उस दिन छुट्टी लेना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी इजाजत होगी। लेकिन मुस्लिम समूहों का कहना है कि सरकार को कागजों पर ऐसा नहीं करना चाहिए था।
राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा यह एक और विवादास्पद घोषणा है। इससे पहले सभी सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य बनाने की बात पर विभाग की तीखी आलोचना हुई थी। राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री कालीचरण सर्राफ, जिनके मंत्रालय ने रक्तदान शिविरों के आयोजन की घोषणा की है, कहते हैं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह सवालिया लहजे में कहते हैं, यह भला कैसे भगवाकरण है? भगवाकरण से दीन दयाल उपाध्याय का क्या लेना-देना है? क्या देश के प्रति उनके योगदानों का बिल्कुल भी नहीं उल्लेख किया जाना चाहिए?
25 सितंबर को इस बार मुस्लिम त्योहार बकरीद भी है और अमूमन इस दिन छुट्टी होती है, लेकिन इस बार छुट्टी नहीं रहेगी। वसुंधरा राजे सरकार ने कॉलेजों को निर्देश दिया है कि इस दिन छुट्टी घोषित नहीं की जाए। राज्य सरकार के इस फैसले से मुस्लिम समूहों में नाराजगी है और उन्होंने कहा है कि छुट्टी रद्द करने के फैसले के खिलाफ वे अदालत जाएंगे।
फोरम फॉर डेमोक्रेसी एंड कॉम्यूनल हार्मनी के प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, यह असंवैधानिक और फासीवादी आदेश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम साफ तौर पर 'भगवाकरण' की कोशिश है। सरकार ने विरोध के सुर उठने पर सफाई देते हुए कहा है कि यदि मुस्लिम शिक्षक उस दिन छुट्टी लेना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी इजाजत होगी। लेकिन मुस्लिम समूहों का कहना है कि सरकार को कागजों पर ऐसा नहीं करना चाहिए था।
राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा यह एक और विवादास्पद घोषणा है। इससे पहले सभी सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य बनाने की बात पर विभाग की तीखी आलोचना हुई थी। राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री कालीचरण सर्राफ, जिनके मंत्रालय ने रक्तदान शिविरों के आयोजन की घोषणा की है, कहते हैं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह सवालिया लहजे में कहते हैं, यह भला कैसे भगवाकरण है? भगवाकरण से दीन दयाल उपाध्याय का क्या लेना-देना है? क्या देश के प्रति उनके योगदानों का बिल्कुल भी नहीं उल्लेख किया जाना चाहिए?
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