
कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘ऑपरेशन सिंदूर' का खुलकर राजनीतिकरण कर रही है और इस सैन्य अभियान को भाजपा का ‘ब्रांड' बनाने का प्रयास किया जा रहा है. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में ये भी तय किया गया कि आने वाले दिनों में भाजपा के इस प्रयास के खिलाफ देश में अलग-अलग स्थानों पर ‘जयहिंद सभाओं' का आयोजन किया जाएगा, जिनमें केंद्र सरकार से भी सवाल किए जाएंगे.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की यह तीसरी बैठक थी. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, जयराम रमेश, सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और कई अन्य नेता शामिल थे. कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे निजी कारणों के चलते मौजूद नहीं थे, इसलिए अध्यक्षता राहुल गांधी ने की.
रमेश ने कहा कि सीजफायर की पहली घोषणा अमेरिका ने की. यह अभूतपूर्व था. उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका के मध्यस्थता के दावे पर सरकार चुप क्यों हैं? कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर' को एक पार्टी का ब्रांड बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि यह सशस्त्र बलों का और पूरे देश का ब्रांड एवं सामूहिक संकल्प है.

रमेश ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर किसी एक पार्टी का ब्रांड नहीं है. ऑपरेशन सिंदूर पर किसी एक पार्टी का एकाधिकार नहीं है, लेकिन यहां पर जिस तरीके से खुले तौर से राजनीतिकरण हो रहा है, उसको देखते हुए हमने यह तय किया है कि करीब 15 शहरों में ‘जयहिंद सभाएं' होंगी.''
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन संभाओं में शामिल होंगे और प्रधानमंत्री से सीधे सवाल किए जाएंगे तथा जनता की ओर से जो सवाल हैं, वो भी उठाए जाएंगे. रमेश ने बताया कि 16 मई को राहुल गांधी इस विषय पर मीडिया को संबोधित करेंगे.
कांग्रेस कार्य समिति ने कहा कि पहलगाम में हुआ हमला कई गंभीर और चिंताजनक सवाल खड़े करता है, जो एक संभावित खुफिया विफलता की ओर इशारा करता है. हमला करने वाले आतंकवादियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाए और न्याय के कटघरे में लाया जाए.

उसने कहा, ‘‘यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक किसी की जवाबदेही तय नहीं की गई है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी चूक कैसे हुई और साफ़ चेतावनियों के बावजूद आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय क्यों नहीं किए गए. राष्ट्रीय सुरक्षा केवल टेलीविज़न पर जनसंपर्क अभियानों से नहीं चलाई जा सकती, इसके लिए पेशेवर सख्ती, सतर्कता और संस्थागत जवाबदेही आवश्यक है.''
उसने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के ‘संघर्षविराम' संबंधी दावों को लेकर कहा कि भारत सरकार की इस पर चुप्पी न सिर्फ़ अचंभित करती है, बल्कि अस्वीकार्य है.
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘22 अप्रैल से हम लगातार एकता और सामूहिकता की बात कर रहे हैं. फिर भी, इस महीने की 25 तारीख को प्रधानमंत्री ने केवल राजग शासित मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई. यह इस पूरे अभियान का राजनीतिकरण करने का स्पष्ट प्रयास है. उन्होंने अब तक एक भी सर्वदलीय बैठक में भाग क्यों नहीं लिया?''
कार्य समिति ने कहा कि इस समय उन्हें दलगत सीमाओं से परे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब में मंगलवार को फिर कहा कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम करवाया. साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देश व्यापार करें.
पिछले 10 मई को दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी. भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) के संपर्क किए जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं