पिछले वर्ष (2015 में) कांग्रेस द्वारा दी गई इफ्तार पार्टी का दृश्य (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी हर साल रमज़ान के दौरान इफ्तार दावत देती रही है, लेकिन इस साल यह परंपरा टूटने जा रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस साल इफ्तार दावत नहीं देगी, और उसके स्थान पर वह आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के बीच राशन बांटेगी। राशन कब बांटा जाएगा, अभी यह तय नहीं हुआ है, लेकिन ज़ोर उपनगरीय इलाकों पर रहेगा।
हर साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से इफ्तार दावत दी जाती रही है, जिसमें उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मेजबान होते हैं। इसमें तमाम नेताओं समेत कई हस्तियों और पत्रकारों को बुलाया जाता रहा है। इसके ज़रिये कांग्रेस अपनी सेक्यूलर छवि को पेश करती रही है, लेकिन लगातार हार के बाद कांग्रेस को लगता है कि अब इसकी ज़रूरत नहीं है। ऐसा नहीं कि कांग्रेस पार्टी पैसों की कमी से जूझ रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के जो आरोप लगते रहे हैं, वह धीरे-धीरे उससे पीछा छुड़ाना चाहती है। कई मानते हैं कि कांग्रेस के रणनीतिकार पार्टी को सॉफ्ट हिन्दुत्व की राह पर लाना चाहते हैं, इसलिए इस साल पहली बार देखा गया कि सोनिया और राहुल गांधी ने इस साल पहली बार कांग्रेस मुख्यालय आकर मीडिया के सामने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ होली खेली।
हालांकि यह वही कांग्रेस पार्टी है, जिसके कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद सरकार की तरफ से इफ्तार पार्टी न दिए जाने पर खूब बातें की थीं। राजनीति का विधान देखिए कि जिस आरएसएस को कांग्रेस लगातार कोसती रही है, उसी आरएसएस से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुस्लिम मंच 2 जुलाई को इफ्तार का आयोजन कर रही है। मंच ने पिछले साल भी इफ्तार दावत दी थी, हालांकि उसमें कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा शामिल नहीं हुआ था। हालांकि बीजेपी अपनी तरफ से इफ्तार दावत नहीं देती है, लेकिन पार्टी के शाहनवाज़ हुसैन जैसे नेता अपने घर पर बड़े पैमाने पर इफ्तार दावत देते रहे हैं, और डॉ मनमोहन सिंह भी प्रधानमंत्री रहते उनकी दावत में शामिल हो चुके हैं।
हर साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से इफ्तार दावत दी जाती रही है, जिसमें उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मेजबान होते हैं। इसमें तमाम नेताओं समेत कई हस्तियों और पत्रकारों को बुलाया जाता रहा है। इसके ज़रिये कांग्रेस अपनी सेक्यूलर छवि को पेश करती रही है, लेकिन लगातार हार के बाद कांग्रेस को लगता है कि अब इसकी ज़रूरत नहीं है। ऐसा नहीं कि कांग्रेस पार्टी पैसों की कमी से जूझ रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के जो आरोप लगते रहे हैं, वह धीरे-धीरे उससे पीछा छुड़ाना चाहती है। कई मानते हैं कि कांग्रेस के रणनीतिकार पार्टी को सॉफ्ट हिन्दुत्व की राह पर लाना चाहते हैं, इसलिए इस साल पहली बार देखा गया कि सोनिया और राहुल गांधी ने इस साल पहली बार कांग्रेस मुख्यालय आकर मीडिया के सामने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ होली खेली।
हालांकि यह वही कांग्रेस पार्टी है, जिसके कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद सरकार की तरफ से इफ्तार पार्टी न दिए जाने पर खूब बातें की थीं। राजनीति का विधान देखिए कि जिस आरएसएस को कांग्रेस लगातार कोसती रही है, उसी आरएसएस से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुस्लिम मंच 2 जुलाई को इफ्तार का आयोजन कर रही है। मंच ने पिछले साल भी इफ्तार दावत दी थी, हालांकि उसमें कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा शामिल नहीं हुआ था। हालांकि बीजेपी अपनी तरफ से इफ्तार दावत नहीं देती है, लेकिन पार्टी के शाहनवाज़ हुसैन जैसे नेता अपने घर पर बड़े पैमाने पर इफ्तार दावत देते रहे हैं, और डॉ मनमोहन सिंह भी प्रधानमंत्री रहते उनकी दावत में शामिल हो चुके हैं।
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