कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (File Photo)
नई दिल्ली:
1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस पर जवाब देने से इनकार कर दिया. किसानों के मामले पर प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे राहुल गांधी ने कहा, "दंगों पर अपनी स्थिति मैं पहले भी साफ कर चुका हूं. यह प्रेस कांफ्रेंस किसानों के कर्ज माफी के संबंध में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों का कर्ज माफ नहीं किया है. जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं किया जाता है तब तक हम प्रधानमंत्री को न तो बैठने देंगे और न ही सोने देंगे."
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वहीं कोर्ट के फैसले के बाद सज्जन कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. अपने पत्र में सज्जन कुमार ने लिखा ‘माननीय हाई कोर्ट द्वारा मेरे खिलाफ दिए गए आदेश के मद्देनजर मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल इस्तीफा देता हूं.'
बता दें कि सिख विरोधी दंगों के 34 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इसका षड्यंत्र उन लोगों ने रचा जिन्हें ‘राजनीतिक संरक्षण' प्राप्त था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नरसंहार के खिलाफ कानून बनाए जाने का भी आह्वान किया. अदालत ने कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की अपील की ताकि जनरसंहार के षड्यंत्रकारियों को जवाबदेह बनाया जा सके. अदालत ने कहा कि ‘मानवता के खिलाफ अपराध' और ‘नरसंहार' को घरेलू कानून का हिस्सा नहीं बनाया गया है और इसका तुरंत समाधान करने की जरूरत है.
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कोर्ट ने इस दौरान 2002 के गोधरा बाद गुजरात दंगों और 2013 में उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों का भी जिक्र किया जो 1947 के बाद हुए बड़े नरसंहारों में शामिल हैं जिनमें अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया.
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वहीं कोर्ट के फैसले के बाद सज्जन कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. अपने पत्र में सज्जन कुमार ने लिखा ‘माननीय हाई कोर्ट द्वारा मेरे खिलाफ दिए गए आदेश के मद्देनजर मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल इस्तीफा देता हूं.'
बता दें कि सिख विरोधी दंगों के 34 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इसका षड्यंत्र उन लोगों ने रचा जिन्हें ‘राजनीतिक संरक्षण' प्राप्त था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नरसंहार के खिलाफ कानून बनाए जाने का भी आह्वान किया. अदालत ने कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की अपील की ताकि जनरसंहार के षड्यंत्रकारियों को जवाबदेह बनाया जा सके. अदालत ने कहा कि ‘मानवता के खिलाफ अपराध' और ‘नरसंहार' को घरेलू कानून का हिस्सा नहीं बनाया गया है और इसका तुरंत समाधान करने की जरूरत है.
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