दो दशकों से अधिक समय बाद कांग्रेस के पहले गैर-गांधी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए चुनावी मैदान में उतरे पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को तब करारा झटका लगा, जब तमिलनाडु में पार्टी के प्रतिनिधियों से उन्हें बहुत ठंडा रिस्पॉन्स मिला. 66 वर्षीय थरूर गुरूवार (6 अक्टूबर) को राज्य के 700 से अधिक कांग्रेस प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त करने के लिए चेन्नई में थे, लेकिन उनमें से सिर्फ 12 प्रतिनिधि ही उनकी बैठक में शामिल हुए. ये बैठक पार्टी के राज्य मुख्यालय सथियामूर्ति भवन में आयोजित की गई थी.
पार्टी के सूत्रों ने संकेत दिया कि थरूर की बैठक में भाग लेने पर उसे 'आधिकारिक' उम्मीदवार के खिलाफ जाने के रूप में देखा जा सकता था, वह उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से गांधी परिवार का समर्थन प्राप्त है. अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने के बाद अंतिम समय में खड़गे की एंट्री कराई गई थी.
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थरूर ने चेन्नई में संवाददाताओं से कहा, "अगर वे मेरी बैठक में शामिल होने से डरते हैं तो यह उनका नुकसान है. यहां हम एक रचनात्मक आदान-प्रदान कर सकते थे." उन्होंने कहा, "गांधी परिवार ने स्पष्ट किया है कि उनका कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है. हम इस मिथक को दूर करेंगे कि मल्लिकार्जुन खड़गे आधिकारिक उम्मीदवार हैं."
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बता दें कि थरूर पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद ही इसका ऐलान किया था.
पिछले हफ्ते एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में, थरूर ने कहा कि सोनिया गांधी ने ही उनसे कहा था, "चुनाव लड़ने के लिए आपका स्वागत है." थरूर ने बताया था कि सोनिया गांधी ने कहा था कि पार्टी का कोई "आधिकारिक उम्मीदवार" नहीं होगा और उनका पूरा परिवार तटस्थ रहेगा.
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