कांग्रेस (Congress) विधायकों ने मानसून सत्र (Monsoon Session) के पहले दिन मंगलवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के एक गेट पर बड़ी मात्रा में लहसुन फेंक कर विरोध प्रदर्शन (Protest) किया और राज्य की भाजपा नीत सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से वायरल हो रहे वीडियो में किसान अपनी उपज की बेहद कम कीमत मिलने के चलते सड़कों, नदियों और नालों में लहसुन से भरे बोरे फेंकते हुए दिखाई देते हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को कांग्रेस विधायक सचिन यादव, जीतू पटवारी, कुणाल चौधरी, पीसी शर्मा और अन्य अपने कंधों पर लहसुन से भरे बोरे लेकर पहुंचे तथा उन्होंने ये बोरे विधानसभा के गेट नंबर-3 के सामने फेंक दिए.
यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसानों को उनकी लहसुन की उपज की लागत भी नहीं मिल रही है. वे इसे केवल एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचने के लिए मजबूर हैं और इसलिए विरोध में उपज को नदियों में तथा मंडियों के सामने में फेंक रहे हैं.'' उन्होंने दावा किया कि सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें अपने उत्पाद की लागत भी नहीं मिल पा रही है. यादव ने कहा कि उर्वरक, बीज और डीजल की बढ़ती कीमतों ने पहले ही किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया है और अब उन्हें अपनी उपज की लागत भी नहीं मिल रही है. उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों की समस्याओं का तत्काल समाधान करे. विपक्षी विधायकों ने विधानसभा के प्रवेश द्वार की ओर बढ़ते हुए 'किसानों के सम्मान में, कांग्रेस मैदान में' जैसे नारे लगाए.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की लेकिन वह किसानों के प्रति उदासीन है और उसके पास किसानों का लहसुन खरीदने के लिए पैसा नहीं है. उल्लेखनीय है कि करीब ढाई साल पहले कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी और बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में आई.
हाल में कई वीडियो सामने आए, जिनमें किसानों को सड़कों, नदियों और नालों में लहसुन फेंकते देखा गया. लहसुन फेंकने की ये घटनाएं विशेषकर मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ क्षेत्रों में हुईं जो लहसुन उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं. किसान विकास सिसोदिया ने दावा किया था कि इंदौर की मंडी में उन्हें लहसुन की फसल के लिए सिर्फ एक रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है और इसलिए उन्होंने उपज को अपने गांव के पास एक नाले में फेंकना उचित समझा. सिसोदिया ने कहा था कि इस साल लहसुन की खेती में उन्हें तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ है.
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