हैदराबाद:
दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की मौत को लेकर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) में हुए आंदोलन का खर्च राजनैतिक दलों ने उठाया था, और आंदोलन 'मौकापरस्त' हो गया। यह दावा है यूनिवर्सिटी की वामपंथी छात्र यूनियन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के नेता राजकुमार साहू का, जिन्होंने इसी कारण इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफा देने वाले राजकुमार ने कहा कि चार महीनों तक जारी रहे विरोध प्रदर्शन भी रोहित वेमुला को न्याय नहीं दिला पाए। राजकुमार साहू ने यह आरोप भी लगाया कि "आंदोलन का खर्च कांग्रेस, वामपंथी दलों और अवसरवादी ताकतों ने उठाया था..."
कांग्रेस और वामपंथियों की पोल खुली : वेंकैया नायडू
इस बीच, केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता एम. वेंकैया नायडू ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट पर लिखा, "एचसीयू स्टूडेंट्स यूनियन सचिव ने इस्तीफा दे दिया है, और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं... रोहित वेमुला से जुड़े मामले में कांग्रेस और वामपंथियों की भूमिका की पोल खुल गई है..."
जनवरी में हुई थी रोहित वेमुला की मौत...
इसी साल जनवरी में 26-वर्षीय रोहित वेमुला यूनिवर्सिटी स्थित होस्टल के अपने कमरे में लटका हुआ पाया गया था। होस्टल के कमरे में मिले एक सुसाइड नोट में उसने लिखा था कि वह खुदकुशी करने के अपने फैसले के लिए किसी को ज़िम्मेदार नहीं मानता, लेकिन उससे एक महीना पहले उसने यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर अप्पा राव को निराशा-भरा एक खत लिखा था, जिसमें उसने जाति के आधार पर भेदभाव की बात करते हुए कहा था कि दलित छात्रों को "खुद को लटका लेने के लिए एक रस्सी दी जानी चाहिए..."
रोहित की मौत के बाद से ही यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जिनके दौरान वाइस-चांसलर अप्पा राव की बर्खास्तगी तथा केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी व बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाती रही। छात्रों का इन लोगों पर आरोप था कि इन्होंने ही एबीवीपी के छात्र नेताओं की एक शिकायत के आधार पर रोहित और उसके मित्रों को परेशान किया।
केंद्र सरकार ने इस आरोप से इंकार किया कि रोहित और उसके साथियों को परेशान किया गया।
एसएफआई तथा एचसीयू में मौजूदा माहौल गंदा : साहू
अब अपने इस्तीफे में राजकुमार साहू ने कहा है, "एसएफआई तथा एचसीयू में मौजूदा माहौल गंदा हो चुका है..." राजकुमार ने यह भी कहा, "एसएफआई की राजनीति मौकापरस्त हो गई है, और सिद्धांतों पर आधारित नहीं है..."
उधर, एसएफआई ने राजकुमार साहू के आरोपों को खारिज करते हुए आरोप लगाया है, "राजकुमार तोते की तरह वही रट रहे हैं, जो एबीवीपी कहती रही है..."
इस्तीफा देने वाले राजकुमार ने कहा कि चार महीनों तक जारी रहे विरोध प्रदर्शन भी रोहित वेमुला को न्याय नहीं दिला पाए। राजकुमार साहू ने यह आरोप भी लगाया कि "आंदोलन का खर्च कांग्रेस, वामपंथी दलों और अवसरवादी ताकतों ने उठाया था..."
कांग्रेस और वामपंथियों की पोल खुली : वेंकैया नायडू
इस बीच, केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता एम. वेंकैया नायडू ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट पर लिखा, "एचसीयू स्टूडेंट्स यूनियन सचिव ने इस्तीफा दे दिया है, और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं... रोहित वेमुला से जुड़े मामले में कांग्रेस और वामपंथियों की भूमिका की पोल खुल गई है..."
HCU students union secretary resigns and makes startling revelations. Left and Congress role exposed in Rohit Vemula's episode. 1/
— M Venkaiah Naidu (@MVenkaiahNaidu) May 12, 2016
They need to apologize to the nation. 2
— M Venkaiah Naidu (@MVenkaiahNaidu) May 12, 2016
जनवरी में हुई थी रोहित वेमुला की मौत...
इसी साल जनवरी में 26-वर्षीय रोहित वेमुला यूनिवर्सिटी स्थित होस्टल के अपने कमरे में लटका हुआ पाया गया था। होस्टल के कमरे में मिले एक सुसाइड नोट में उसने लिखा था कि वह खुदकुशी करने के अपने फैसले के लिए किसी को ज़िम्मेदार नहीं मानता, लेकिन उससे एक महीना पहले उसने यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर अप्पा राव को निराशा-भरा एक खत लिखा था, जिसमें उसने जाति के आधार पर भेदभाव की बात करते हुए कहा था कि दलित छात्रों को "खुद को लटका लेने के लिए एक रस्सी दी जानी चाहिए..."
रोहित की मौत के बाद से ही यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जिनके दौरान वाइस-चांसलर अप्पा राव की बर्खास्तगी तथा केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी व बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाती रही। छात्रों का इन लोगों पर आरोप था कि इन्होंने ही एबीवीपी के छात्र नेताओं की एक शिकायत के आधार पर रोहित और उसके मित्रों को परेशान किया।
केंद्र सरकार ने इस आरोप से इंकार किया कि रोहित और उसके साथियों को परेशान किया गया।
एसएफआई तथा एचसीयू में मौजूदा माहौल गंदा : साहू
अब अपने इस्तीफे में राजकुमार साहू ने कहा है, "एसएफआई तथा एचसीयू में मौजूदा माहौल गंदा हो चुका है..." राजकुमार ने यह भी कहा, "एसएफआई की राजनीति मौकापरस्त हो गई है, और सिद्धांतों पर आधारित नहीं है..."
उधर, एसएफआई ने राजकुमार साहू के आरोपों को खारिज करते हुए आरोप लगाया है, "राजकुमार तोते की तरह वही रट रहे हैं, जो एबीवीपी कहती रही है..."
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