
कांग्रेस नेता सचिन पायलट, जिन्होंने लगभग एक महीने तक राजस्थान में अपने बागी तेवरों से अशोक गहलोत सरकार की नाक में दम कर दिया था, ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समर्थन में ट्वीट किया है. दरअसल कांग्रेस के 20 से अधिक नेताओं के हस्ताक्षर वाले एक पत्र पर पार्टी में विवाद छिड़ गया है. यह पत्र 7 अगस्त को लिखा गया है जिस दौरान पार्टी पायलट और उनके 18 विधायक साथियों को को वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रही थी.
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पत्र में व्यापक सुधार, आत्मनिरीक्षण और "एक पूर्णकालिक नेतृत्व" की मांग की गई है. पार्टी में सुधार के लिए सामूहिक रूप से मार्गदर्शन करने के लिए "संस्थागत नेतृत्व " की स्थापना का सुझाव दिया गया है. यह भी कहा कि नेतृत्व के मुद्दे पर "अनिश्चितता" और पार्टी में "बहाव" पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश कर रहा है और पार्टी को कमजोर कर दिया है. पत्र ने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार, जो आजादी के बाद से मुख्य रूप से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, सामूहिक नेतृत्व का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए.
Mrs Gandhi and Rahul ji have shown what it means to sacrifice for the greater good of the people and the party.Its now time to build consensus and consolidate.
— Sachin Pilot (@SachinPilot) August 23, 2020
Our future is stronger when we're united. Most Congress workers would like to see Rahul ji take over and lead the party
अपने ट्वीट में, पायलट ने पत्र को लेकर स्पष्ट तरीके से असहमत जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट किया, "श्रीमती गांधी और राहुल-जी ने दिखाया है कि लोगों और पार्टी की भलाई के लिए बलिदान देने का क्या मतलब है. अब आम सहमति बनाने और एकजुट होने का समय है. जब हम एकजुट होंगे तो हमारा भविष्य मजबूत होगा. अधिकांश कांग्रेस कार्यकर्ता चाहेंगे कि राहुल जी पार्टी का नेतृत्व करें. ”
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इस पत्र ने कांग्रेस को विभाजित कर दिया है, जिसमें अमरिंदर सिंह, भूपेश बघेल और सिद्धारमैया जैसे वरिष्ठ नेता गांधी परिवार के समर्थन में हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सूत्रों के हवाले से कहा, "सोनिया गांधी को जब तक वह चाहें तब तक अध्यक्ष रहना चाहिए साथ ही राहुल गांधी को पूरी तरह से सक्षम होने के बाद जिम्मेदारी देनी चाहिए."
सूत्रों ने यह भी कहा कि राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी अध्यक्ष बनने के लिए अनिच्छुक हैं. पिछले साल पद से हटते समय, राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से नेहरू गांधी परिवार के बाहर एक नए नेता की तलाश करने के लिए कहा था. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के सामने नहीं झुकना चाहिए.
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पायलट ने महीने भर के गतिरोध के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ कई बैठकें कीं. इसके अंत में राहुल गांधी के साथ उनकी कुछ मुलाकातें भी हुईं.
पार्टी ने बाद में एक तीन सदस्यीय टीम बनाई जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल थीं और राजस्थान सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे. पायलट ने प्रियंका गांधी वाड्रा को "सुनने" के लिए धन्यवाद दिया था. इसके तुरंत बाद, कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में एक विश्वास मत जीता, जिसने अगले छह महीनों के लिए अपनी सुरक्षा सुनिश्चित की.
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